Guru Purnima 2025 : सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है। जो कि हर माह में एक बार पड़ती है। साल की सभी पूर्णिमा तिथियों में गुरु पूर्णिमा को सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। यह पूर्णिमा तिथि गुरु को समर्पित होती है।
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इस दिन लोग अपने गुरु की पूजा करते हैं साथ ही उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को भी समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं, तो हम आपको गुरु पूर्णिमा की तारीख और इससे जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
गुरु पूर्णिमा की तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा यानी आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 10 जुलाई को देर रात 1 बजकर 36 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 11 जुलाई को देर रात 2 बजकर 6 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि पर सूर्योदय सुबह 5 बजकर 31 मिनट पर होगा। इसके अलावा सूर्यास्त शाम को 7 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा। चंद्रोदय रात 7 बजकर 20 मिनट पर होगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 10 मिनट से 4 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा गोधूलि मुहूर्त रात 7 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा निशिता मुहूर्त रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक है।
महर्षि वेदव्यास का जन्म
सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा को इसलिए महत्वपूर्ण बताया गया हैं, क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। जिन्होंने महाभारत, श्रीमद् भागवत और 18 पुराण जैसे अद्भुत साहित्य की रचना की थी। वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा का मुख्य उद्देय गुरुओं को सम्मान करना और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हैं। इस पावन दिन पर लोग अपने गुरुओं से आशीर्वाद लेकर मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।

