Gyanvapi Case: ‘अगर सौंप दे तीनों मंदिर…. तो भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी’ बोले स्वामी गोविंद देव गिरी

Aanchal Singh

Gyanvapi Case: अयोध्या राम मंदिर निर्माण के बाद अब ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह तथा श्री कृष्ण जन्मभूमि का मामला काफी सुर्खियों में है. हाल ही में वाराणसी में हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति मिलने के बाद से सियासी बयानबाजी जारी है. राजनीतिक गलियारों में इस मामले को लेकर सियासत छिड़ी हुई है.

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स्वामी गोविंद देव गिरी की प्रतिक्रिया आई सामने

हिंदू पक्ष में फैसला आने के बाद से मुस्लिम पक्ष तिलमिलाया हुआ है. इस मामले में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी की प्रतिक्रिया सामने आई है. ज्ञानवापी मामले पर स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा, “मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि इन तीन मंदिरों (अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि) को सौंप देना चाहिए क्योंकि ये आक्रांताओं द्वारा हमारे ऊपर किए गए हमलों के सबसे बड़े निशान हैं. अगर मुस्लिम पक्ष इस दर्द को शांति से ठीक कर सकें, तो भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी.”

क्या बोले स्वामी गोविंद देव गिरी?

इसी कड़ी में उन्होंने आगे कहा कि, ‘इसके कारण राष्ट्रीय समाज के अंतर कर्ण में बहुत वेदना है. यदि इस वेदना को ये लोग शांति के साथ दूर कर देते हैं तो भाईचारा बढ़ने में और अधिक सहयोग मिलेगा.’ बता दे कि कि वाराणसी की एक अदालत ने बीते 31 जनवरी को ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दे दी थी. कोर्ट ने जिला प्रशासन को अगले सात दिनों में जरूरी इंतजाम करने को कहा था.

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असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई

अदालत के फैसला के बाद से जहां एक ओर हिंदू पक्ष में काफी उत्साह है, तो वही दूसरी ओर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि यह पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है. ओवैसी ने कोर्ट के इस फैसले को गलत बताया है. बता दें कि कोर्ट ने अपने आदेश में केवल 7 दिनों के अदंर ग्रिल खोलने का आदेश दिया है. ओवैसी ने कहा, ‘अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए था.

ये गलत फैसला है. जब तक मोदी सरकार यह नहीं कहती कि वे पूजा स्थल अधिनियम के साथ खड़े हैं, तब तक यह चलता रहेगा. बाबरी मस्जिद स्वामित्व मुकदमे के फैसले के दौरान, मैंने यह आशंका व्यक्त की थी. पूजा स्थल अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मूल संरचना का हिस्सा बनाया गया था, फिर निचली अदालतें आदेश का पालन क्यों नहीं कर रही हैं?’ उन्होंने आगे कहा कि इंतेजामिया मस्जिद कमेटी इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील करेगी.

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