H-1B Visa: अमेरिका में H-1B वीजा कार्यक्रम को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ट्रंप प्रशासन की ओर से वीजा फीस में भारी वृद्धि के खिलाफ संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। चैंबर ऑफ कॉमर्स का आरोप है कि यह फीस बढ़ोतरी गैरकानूनी, गुमराह करने वाली और अमेरिकी व्यवसायों के लिए हानिकारक है।
H-1B वीजा की फीस पर विवाद
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने H-1B वीजा के लिए फीस में एक लाख डॉलर तक की भारी वृद्धि की घोषणा की थी, जिससे अमेरिका के बाहर से आने वाले कामगारों के लिए यह वीजा महंगा और मुश्किल हो गया है। इस फैसले का खास असर उन देशों के नागरिकों पर पड़ा है, जिनमें से अधिकांश भारत से आते हैं।
Read more: Bihar Election 2025: केशव मौर्य का बयान, नीतीश कुमार के CM पद को लेकर कह दी ये बड़ी बात…
कोर्ट में दायर मुकदमे की अहम बातें

चैंबर ऑफ कॉमर्स ने 16 अक्टूबर, 2025 को कोलंबिया जिला अदालत में यह मुकदमा दायर किया। इस मुकदमे में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन की फीस वृद्धि नीति इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट (INA) के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। इसके अलावा, यह भी तर्क दिया गया कि यह कदम अमेरिकी संसद के उस नियम के खिलाफ है जिसमें सालाना 85,000 H-1B वीजा जारी करने का प्रावधान है ताकि विदेशी प्रतिभा को अमेरिका के विकास में योगदान देने का अवसर मिल सके।
Read more: Dhanteras 2025: अद्भुत संयोग में मनेगा धनतेरस, इन मुहूर्त में खरीदारी करने से घर आएगी अपार समृद्धि!
ट्रंप के आदेश का प्रभाव
ट्रंप के आदेश का शीर्षक था, ‘रिस्ट्रिक्शन ऑन एंट्री ऑफ सर्टेन नॉन-माइग्रेंट वर्कर्स’, जिसने H-1B वीजा कार्यक्रम में बड़े बदलाव किए हैं। इस आदेश के तहत नए आवेदकों को भारी शुल्क अदा करना होगा, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। इस फैसले ने अमेरिकी उद्योगों और तकनीकी क्षेत्र में विदेशी विशेषज्ञों की उपलब्धता पर भी संकट पैदा कर दिया है। कई बड़ी कंपनियों का मानना है कि इससे उनकी प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी और अमेरिका का टेक्नोलॉजी क्षेत्र पिछड़ जाएगा।

