Hardik Patel Arrest Warrant: गुजरात की राजनीति में कभी पाटीदार आंदोलन का अगुआ चेहरा रहे और अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक हार्दिक पटेल एक बार फिर कानूनी संकट में फंसते नजर आ रहे हैं। बुधवार को अहमदाबाद ग्रामीण अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह वारंट एक पुराने मामले में अदालत में पेश न होने के चलते जारी हुआ है।
कौन सा मामला है हार्दिक पटेल के खिलाफ?
जानकारी के मुताबिक, यह मामला 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़ा हुआ है। उसी दौरान हार्दिक पटेल पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, सरकारी काम में बाधा डालने और हिंसा फैलाने जैसे आरोप लगाए गए थे। इस केस में उन्हें कई बार कोर्ट से समन जारी किया गया, लेकिन बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण अब अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
कोर्ट में पेश नहीं हुए हार्दिक
बताया जा रहा है कि बुधवार को अहमदाबाद ग्रामीण कोर्ट में जब सुनवाई के लिए हार्दिक पटेल की पेशी तय थी, तब वह अदालत में हाज़िर नहीं हुए। उनके वकीलों ने पेशी से छूट की मांग की, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार करते हुए सख्ती दिखाई और गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
विपक्ष ने साधा निशाना
जैसे ही हार्दिक पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की खबर सामने आई, विपक्षी दलों ने भाजपा पर हमला बोलना शुरू कर दिया। कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि क्या भाजपा अपने ही विधायकों के खिलाफ कार्रवाई को रोक पाने में असमर्थ है? वहीं, आम आदमी पार्टी ने इसे “राजनीतिक पाखंड” बताते हुए कहा कि जो नेता कभी सत्ता विरोधी आंदोलन के प्रतीक थे, वे अब खुद कानूनी शिकंजे में हैं।
हार्दिक पटेल की राजनीतिक यात्रा
हार्दिक पटेल ने अपनी पहचान 2015 में पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हुए आंदोलन से बनाई थी। उस आंदोलन ने गुजरात की राजनीति में हलचल मचा दी थी। हालांकि, बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा, और फिर 2022 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। वह वर्तमान में गुजरात विधानसभा में BJP के विधायक हैं। अब सवाल यह है कि क्या पुलिस हार्दिक पटेल को जल्द गिरफ्तार करेगी या वह अग्रिम जमानत की कोशिश करेंगे? कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी ओर से जमानत अर्जी दायर की जा सकती है। फिलहाल बीजेपी की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
हार्दिक पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट से एक बार फिर गुजरात की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। यह घटनाक्रम न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि पर असर डालेगा, बल्कि आने वाले चुनावों में भी इसके राजनीतिक निहितार्थ गहराएंगे। अब देखना होगा कि हार्दिक पटेल इस कानूनी संकट से कैसे निकलते हैं।
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