Haridwar News: उत्तराखंड के हरिद्वार से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. डॉक्टरों को आमतौर पर भगवान का रूप माना जाता है, जो जीवन बचाने और कठिन समय में सहारा देने वाले होते हैं. लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार से सामने आए एक दर्दनाक मामले ने इस विश्वास को झकझोर कर रख दिया है. यहां पर एक गरीब गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया. अस्पताल की इस लापरवाही के कारण महिला को तड़पते हुए अस्पताल की फर्श पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा. इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिससे प्रशासन की खासी आलोचना हो रही है.
Read More: Amit Shah का बड़ा बयान, “Mahatma Gandhi ने भारत की आत्मा को पहचाना, मोदी ने खादी को पुनर्जीवित किया”
परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
वहीं, पीड़ित महिला के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए है. परिजनों का कहना है कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने पीड़िता को बाहर निकाल दिया औप कहा कि यहां डिलीवरी नहीं होगी. परिजनों ने बताया कि जब महिला को अस्पताल में ले जाया गया तो बेड तक उपल्बध नहीं था जिसके कारण पीड़िता को फर्श पर ही लिटाना पड़ा.इस दौरान डॉक्टर ने बेरहमी से कहा कि क्या और बच्चे पैदा करोगी?
रिश्तेदारों ने अस्पताल की लापरवाही पर जताई नाराजगी
महिला के रिश्तेदारों ने अस्पताल की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऐसी लापरवाही के कारण जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा हो जाता है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि आगे ऐसी घटना न हो और हर महिला को उचित इलाज और सम्मान मिले. उन्होंने कहा, “यहाँ कोई खुशी से नहीं आता, सभी दुख में आते हैं और फिर भी इलाज में लापरवाही हो रही है.”
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे जनता में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है. वीडियो में साफ दिख रहा है कि महिला को अस्पताल में ठीक से देखभाल नहीं मिली, जिससे लोगों ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.
सीएमओ आरके सिंह का बयान
इस पूरे मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) आरके सिंह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि महिला अस्पताल से पूरी जानकारी ली जा रही है और उन्होंने लिखित रिपोर्ट मंगाई है. उनके अनुसार, महिला को 9:30 बजे रात में इमरजेंसी रूम में भर्ती किया गया था और डिलीवरी 1:30 बजे हुई। उन्होंने वीडियो की सत्यता पर सवाल उठाए और कहा कि गायनोलॉजिस्ट से बात करने पर कोई गंभीर लापरवाही सामने नहीं आई. दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.
जांच में डॉक्टर सलोनी पंत दोषी पाई गई
जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरवी सिंह की जांच में डॉक्टर सलोनी पंत को प्राथमिक तौर पर दोषी पाया गया है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरके सिंह ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं. इसके अलावा, ड्यूटी पर मौजूद दो स्टाफ नर्स ज्ञानेंद्री और वंशिका मित्तल की लापरवाही भी सामने आई है, जिनकी सर्विस बुक में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज की गई है.
हरिद्वार में गर्भवती महिला के साथ हुई यह लापरवाही एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन गई है. अस्पताल प्रशासन की इस गलती ने एक नाजुक जिंदगी को खतरे में डाल दिया. जनता और प्रशासन दोनों को मिलकर सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों और हर महिला को उचित स्वास्थ्य सेवा मिल सके.
Read More: Sindoor Khela 2025: विजयादशमी पर कोलकाता में ‘सिंदूर खेला’ की धूम, महिलाओं ने मनाया शक्ति का उत्सव

