Hariyali Amavasya 2025: हरियाली तीज पर कैसे करें पूजा? नोट करें डेट, मुहूर्त और विधि

हरियाली अमावस्या को खास माना गया है, इस दिन के देवता पितृगण होते हैं। सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विधान होता है।

Nivedita Kasaudhan
hariyali amavasya 2025
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Hariyali Amavasya 2025: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन हरियाली अमावस्या को खास माना गया है, इस दिन के देवता पितृगण होते हैं। सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विधान होता है।

मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का निवारण हो जाता है। इसके साथ ही अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों का भी आशीर्वाद मिलता है और दुख परेशानियां दूर हो जाती हैं, तो हम आपको हरियाली तीज की तारीख, मुहूर्त और पूजा विधि बता रहे हैं।

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हरियाली तीज की तारीख

Hariyali Amavasya 2025
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पंचांग के अनुसार इस साल सावन की अमावस्या तिथि 23 जुलाई दिन बुधवार की रात 2 बजकर 29 मिनट से आरंभ हो रही है, जो कि 24 जुलाई दिन गुरुवार की रात 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। अमावस्या का सूर्योदय 24 जुलाई को होगा। इसलिए इसी दिन हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और गुरु पुष्य नाम के 3 शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और बढ़ जाता है।

अमावस्या का शुभ मुहूर्त

हरियाली अमावस्या के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा तीसरा मुहूर्त 12 बजकर 33 मिनट से 2 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। आखिरी मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से 3 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

अमावस्या की पूजा विधि

अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद हाथ में जल, चावल और पुष्प लेकर व्रत पूजा का संकल्प करें। इसके बाद किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। घर में किसी साफ स्थान पर शिव जी की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद भगवान को चंदन से तिलक लगाएं और पुष्पों की माला अर्पित करें साथ ही घी का दीपक भी जलाएं।

इसके बाद अबीर गुलाल, जनेउ, सफेद वस्त्र, रोली, चावल, बिल्व पत्र, आंकड़े के पुष्प, धूप आदि चीजों को अर्पित करें। पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें अंत में भगवान को भोग लगाएं और आरती करें। मान्यता है कि इस विधि से शिव साधना करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का निवारण हो जाता है।

sawan 2025
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

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