Haryana Marketing Scam Case: हरियाणा मार्केटिंग घोटाला में आलोक नाथ को SC से बड़ी राहत, गिरफ्तारी पर लगी रोक

Nivedita Kasaudhan
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Haryana Marketing Scam Case: फिल्म जगत के जाने माने अभिनेता और ‘संस्कारी बाबूजी’ के नाम से लोकप्रिय आलोक नाथ एक बार फिर चर्चा में आ गए है। इस बार वजह हरियाणा मल्टी मार्केटिंग घोटाला, जिसमें उनका नाम सामने आया है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक लगा दी है। जिससे फिलहाल उन्हें कुछ राहत जरूर मिली है।

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जानें क्या है पूरा मामला

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यह मामला ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड एक कंपनी से जुड़ा है। जिसने साल 2016 में कई राज्यों में ब्रांच खोलकर निवेश योजना शुरू की थी। कंपनी ने लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) जैसी योजनाओं के जरिए निवेश के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में भरोसा दिलाया गया कि उनका पैसा सुरक्षित है और भविष्य में अच्छा रिटर्न मिलेगा।

निवेशकों को किया गया गुमराह

साल की शुरुआत में कंपनी ने निवेशकों को वादे के मुताबिक रिटर्न दिया, जिससे लोगों का भरोसा बढ़ा। लेकिन साल 2023 आते ही कंपनी ने जमा राशि लौटाना बंद कर दिया। धीरे धीरे स्थिति और खराब हो गई और कंपनी ने निवेशकों से दूरी बना ली। इससे हजारों निवेशक नुकसान हुआ।

13 लोगों के खिलाफ FIR

इस गंभीर घोटाले में 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर में आलोक नाथ के अलावा अभिनेता श्रेयस तलपड़े का भी नाम शामिल है। यह स्पष्ट नहीं है कि इन दोनों का कंपनी में प्रत्यक्ष निवेश या प्रबंधन से कोई संबंध था या नहीं। बताया जा रहा है कि इन्होंने ​केवल कंपनी का प्रचार किया था।

सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और अदालत ने आलोक नाथ की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसका मतलब यह है कि जब तक आगे की जांच पूरी नहीं होती, तब तक उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा। कोर्ट का यह कदम उन्हें अस्थायी राहत जरूर देता है। लेकिन आने वाली जांच उनके भविष्य को तय करेगी।

आगे की जांच करेगी स्थिति स्पष्ट

जांच एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि क्या आलोक नाथ और श्रेयस तलपड़े ​केवल प्रचारक थे या उन्हें इस घोटाले की पूरी जानकारी थी। अगर जांच में यह साबित होता है कि उन्होंने जानबूझकर निवेशकों को गुमराह किया, तो कानूनी कार्रवाही हो सकती हैं, वहीं अगर वे केवल प्रचार तक सीमित थे और घोटाले से अनजान थे तो उन्हें राहत मिल सकती है।

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