Health scam: भारत के इतिहास में मेडिकल कॉलेज में हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचारों में से एक! करोड़ों की रिश्वत! पैसे के बदले कॉलेज की मंजूरी, गुणवत्ता नियंत्रण। सीबीआई ने मोदी काल के सबसे बड़े घोटालों में से एक का पर्दाफाश किया है। इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), कई निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधि – और यहां तक कि यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के मौजूदा चांसलर डीपी सिंह भी शामिल हैं।
सीबीआई ने किया पर्दाफाश
सीबीआई ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों की मान्यता, निरीक्षण और नवीनीकरण के बारे में गुप्त जानकारी एक सुनियोजित आपराधिक साजिश के तहत लीक की जा रही थी जो लंबे समय से चल रही थी। इसमें फर्जी बुनियादी ढांचे का प्रदर्शन, फर्जी शिक्षकों और मरीजों का प्रबंधन और रिश्वत के बदले नियामक एजेंसियों की रिपोर्ट एकत्र करना शामिल था।
सीबीआई ने दर्ज की FIR
आरोपों में केंद्र सरकार के अधिकारियों, निजी कॉलेज के अधिकारियों, बिचौलियों और यहां तक कि मेडिकल रेटिंग बोर्ड के सदस्यों के नाम भी शामिल हैं। सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि दिल्ली में सरकारी अधिकारियों का एक समूह, जो सीधे स्वास्थ्य मंत्रालय और एनएमसी से जुड़ा हुआ है, गोपनीय सरकारी दस्तावेजों की तस्वीरें लेता था और उन्हें अपने मोबाइल फोन पर निजी कॉलेजों से जुड़े दलालों को भेजता था। इस जानकारी में यह शामिल होता था कि किस कॉलेज का किस दिन निरीक्षण किया जाएगा, कौन से अधिकारी जाएंगे और रिपोर्ट में क्या कहा गया है।
34 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज
इस तरह संबंधित कॉलेज पहले से सूचना मिलने के बाद एक ‘छद्म’ तस्वीर तैयार कर लेते थे। थोड़े समय के लिए रखे गए ‘फैकल्टी’, फर्जी मरीज और क्लोन फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल कर नियमित रूप से फर्जी हाजिरी लगाई जाती थी। इसके बदले में मूल्यांकनकर्ताओं को बड़ी रकम दी जाती थी। सीबीआई ने जिन 34 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, उनमें स्वयंभू धार्मिक गुरु रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज, गुरुग्राम के वीरेंद्र कुमार, द्वारका की मनीषा जोशी, इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया, उदयपुर के गीतांजलि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार मयूर रावल समेत कई अन्य शामिल हैं।
केंद्रीय जांचकर्ताओं का मानना है कि यह भारत के इतिहास में सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज घोटालों में से एक है। इसका नेटवर्क उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी फैला हुआ है। इस बात की जांच की जा रही है कि इस घोटाले के पीछे कोई राजनीतिक संबंध तो नहीं है।
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