अन्तरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवसः वर्तमान समय में देखा जाए तो आज दुनिया भर बड़ी संख्या में लोग नशा करते है। बच्चें, युवा, बुजुर्ग, सभी नशा करते है। देखा जाए तो बच्चों में नशा की लत बढ़ी है। इसके लिए बच्चें सभी प्रकार के नशे का सहारा लें रहें है। नशें की लत जिसको एक बार लग जाती है वह इतनी आसानी से नशा को छोड़ नही पाता है।
अगर एक बार नशें की आदत लग जाए तो फिर वह दिन प्रतिदिन नशा करने के लिए कोई उपाय ढूंडता रहता है। अधिक नशा करने वाले व्यक्ति को जैसे- गांजा, भांग, शराब, अफीम, चरस, हीरोइन, कुकैन, तम्बाकू, गुटखा, वाइटनर, इंजेक्शन व नशीली दवाओंआदि नशीली पदार्थो का सेवन करते है, अगर कुछ समय के लिए छूट जाता है तो मानों वह पागल जैसे होने लगते है। तो उनका मन नशा करने के लिए बेचैन सा होने लगता है।

नई दिल्लीः आज अन्तरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस है। यह हर साल 26 को दुनिया भर मे एकसाथ मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों का नशा और इससे होने वाले कुप्रभाव के प्रति जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। इसे सबसे पहले 1989 में मनाया गया था। और 7 सितंबर 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था।
इस प्रस्ताव में नशीली दवाओं के गैरकानूनी इस्तमाल और तस्करी को रोकने के लिए हर साल अन्तरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की बात की गई। इस साल की थीमः ” स्वास्थ्य और मानवीय संकटों में मादक द्रव्य चुनौतियों का समाधान ” है।
जानें क्या है अन्तरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवसः

आज के दौर में बड़ी संख्या में लोग युवा, बच्चें, बुजुर्ग नशा करते है। वर्तमान समय में देखा जाए तो 13 साल से 17 साल के बच्चों में नशें की लत सबसे ज्यादा बढ़ी है। अपने परिवार से छिपकर बच्चें सभी तरह का नशा कर रहे है। अज्ञानता के अभाव के चलते आज देश के भविष्य उस नशें के दलदल में फसते चले जा रहे है। जिन बातों से उनके परिवार के लोग अभिन्न बने है।
ज्यादा नशा करने से उनके सेहत और कैरियर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। नशें के दलदल में लोगो को फंसता देख संयुक्त राष्ट्र ने 7 सितम्बर 1987 को समाज को नशा से मुक्त कराने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में 26 जून को ” अन्तरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस ” मनाने की बात कही गई। जिसे सभी देशों ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया। इसके बाद यह पहली बार 26 जून 1989 को ” अन्तरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस ” मनाया गया।
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अन्तरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का उद्देश्यः
देश में तेजी से बढ़ रहे बच्चों में नशें की लत को बचाने और तस्करी पर प्रतिबंध लगाने के लिए मनाया जाता है। आज के दिन दुनिया भर में नशें के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाया जाता है। इस अभियान के तहत रैली निकालकर लोगो को नशे से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराया जाता है। हालांकि भारत में भी अवैध तस्करी और नशें को लेकर सख्त कानून बनाये गये है, लेकिन लोगो को नशें के बारे में जागरुक होने की जरुरत है।
महिलाओं में बढ़ती नशें की लतः

आज देश में नशा करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अभी तक अधिकांश पुरुष ही नशा करते थे। मगर आज के समय में महिलाओं में नशें की संख्या बढ़ती चली जा रही है। वह शराब, सिगरेट तम्बाकू आदि का सेवन में तेजी से वृद्धि हो रही है। आज पूरे भारत में 40 प्रतिशत महिलाएं नशें की गिरफ्त में आ चुकी है। इनमें से कुछ महिलाएं तो छिप-छिप कर और कुछ तो खुला शराब व सिगरेट का सेवन कर रही है। कभी कभी तो लोगो में अधिक नशे की लत लग जाने पर लोग अपने शरीर में नशें को इंजेक्शन को इस्तेमाल करने लगते है।