Hindu New Year 2025: नववर्ष के साथ हुआ नए युग का आरम्भ, क्या है चैत्र मास की विशेषता और महत्व?

चैत्र मास में न केवल हिंदू नववर्ष मनाया जाता है, बल्कि वासंतिक नवरात्रि का पर्व भी इसी मास में पड़ता है, जो इस बार 30 मार्च, रविवार से शुरू हो रहा है।

Shilpi Jaiswal


Hindu New Year 2025
:चैत्र मास हिंदू कैलेंडर का पहला महीना होता है, जो न केवल नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत की शुरुआत होती है। 2025 में विक्रम संवत 2082 का वर्ष प्रारंभ हो रहा है, जिसका राजा सूर्य होगा। इसके साथ ही, शक संवत के अनुसार यह वर्ष 1947 वां होगा। चैत्र मास में न केवल हिंदू नववर्ष मनाया जाता है, बल्कि वासंतिक नवरात्रि का पर्व भी इसी मास में पड़ता है, जो इस बार 30 मार्च, रविवार से शुरू हो रहा है।

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क्या है चैत्र मास?

चैत्र मास का नाम चित्रा नक्षत्र से जुड़ा हुआ है। यह नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से 14वां है। अमावस्या के बाद जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में दिन और रात का समय समान होता है, तो धीरे-धीरे एक कला बढ़ती है और 15 दिन बाद चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त होती है, जिसके कारण इस मास को चैत्र कहा जाता है। यह समय परिवर्तन और नए उत्साह का होता है, जिससे नए कार्यों की शुरुआत के लिए यह समय शुभ माना जाता है।

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भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से शक संवत की शुरुआत भी होती है। इस दिन से भगवान राम और आदिशक्ति देवी दुर्गा का प्रादुर्भाव भी हुआ था, इसलिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। साथ ही, इस महीने में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती भी मनाई जाती है। मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से पहला है।

ग्रीष्म ऋतु का आगमन

चैत्र मास में वसंत ऋतु का समापन और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है, जो शरीर और मन में नई ऊर्जा का संचार करता है। इस माह का मौसम संतुलन और बदलाव का होता है, इसलिए इसे शुभता और ऊर्जा से भरपूर माना जाता है। यही कारण है कि इस माह में विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और यज्ञों का आयोजन किया जाता है।

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चैत्र मास में क्या करें?

पूजा और उपासना: इस महीने में विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि इस मास में सूर्य का विशेष महत्व होता है। साथ ही, देवी दुर्गा और भगवान राम की पूजा भी की जाती है।
व्रत और उपवास: चैत्र मास में नवरात्रि का पर्व आता है, जिसमें भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। उपवास और व्रत रखने से आत्मशुद्धि होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
नैतिकता और संयम: इस महीने में संयमित आहार और जीवनशैली अपनानी चाहिए। शाकाहारी भोजन और उत्तम विचारों से शरीर और मन को शुद्ध किया जाता है।
परिवार और समाज के साथ समय बिताएं: चैत्र मास के दौरान अपने परिवार और समाज के साथ अच्छा समय बिताना चाहिए। यह मास प्रेम और एकता का प्रतीक है।

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