Hindu Rashtra: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक बयान में भारत की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत के पास केवल एक ही विकल्प है, और वह है शक्तिशाली बनना। भागवत ने भारत की सीमाओं पर बढ़ते आतंकी हमलों और बुरी ताकतों की मौजूदगी को लेकर चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि देश को अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए अपनी सेना और सामरिक ताकत को बढ़ाना होगा।
Hindu Rashtra: हिंदू समाज की एकता की आवश्यकता
भागवत ने इस संदर्भ में हिंदू समाज को एकजुट होने का आह्वान भी किया। उनका कहना था कि हिंदू समाज की एकता ही देश की सुरक्षा और विकास की कुंजी है। उन्होंने भारतीय सेना को और भी ताकतवर बनाने की बात की ताकि राष्ट्र की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। संघ प्रमुख के इस बयान का उद्देश्य देश की एकता और सामरिक ताकत को मजबूत करना था, ताकि बाहरी और आंतरिक खतरों से निपटा जा सके।
Hindu Rashtra: असम में आगामी विधानसभा चुनाव
असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और इस बार बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनों अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। असम में पिछले दस सालों से बीजेपी की सरकार है। पहले पांच सालों तक सर्वानंद सोनेवाल असम के मुख्यमंत्री रहे थे, और 2021 से हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य की सत्ता की बागडोर संभाल रखी है। इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में असम में बीजेपी ने कई सामाजिक और राजनीतिक बदलाव किए हैं, जो पार्टी के लिए आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
राज्य की जनसंख्या और जातीय समीकरण
असम की जनसंख्या 2025 में अनुमानित 3.65 करोड़ होगी। 2011 की जनगणना के मुताबिक, असम में हिंदू समुदाय 61% और मुस्लिम समुदाय 34% हैं। ऐसे में बीजेपी लगातार हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पार्टी की रणनीति इस बात पर आधारित है कि वह हिंदू वोटों को एकजुट कर चुनावी मैदान में मजबूती से उतरे। इसके साथ ही, राज्य के विभिन्न विकास कार्यों और सामाजिक योजनाओं के जरिए बीजेपी इस चुनाव में अपनी जीत को सुनिश्चित करने के प्रयास कर रही है।
बीजेपी की राजनीतिक रणनीति
बीजेपी की असम में राजनीतिक रणनीति में मुख्य रूप से हिंदू समुदाय के समर्थन को केंद्रित किया गया है। पार्टी द्वारा राज्य में किए गए विकास कार्यों, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण बीजेपी को हिंदू वोटों में समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा, संघ प्रमुख का हिंदू समाज को एकजुट होने का आह्वान असम में बीजेपी के लिए एक रणनीतिक संदेश है, जिससे पार्टी को चुनावी लाभ मिल सकता है।
आंतरिक सुरक्षा और धार्मिक समीकरण
असम में धर्म और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे चुनावी चर्चा का अहम हिस्सा बन सकते हैं। असम में हाल ही में बांग्लादेशी मुस्लिम प्रवासियों का मुद्दा भी चर्चा में रहा है, और बीजेपी ने इसे अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाया है। इस मुद्दे के माध्यम से बीजेपी राज्य में मुस्लिम वोटों के बीच एक ध्रुवीकरण पैदा करने की कोशिश कर रही है, ताकि हिंदू समुदाय का वोट बैंक और मजबूत हो सके।
चुनावी रणनीतियों में संघ की भूमिका
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी दोनों असम में अपने प्रभाव को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान और बीजेपी की चुनावी योजनाओं में एक सामूहिक दृष्टिकोण दिखता है, जो हिंदू एकता और सामरिक शक्ति के महत्व को दर्शाता है। असम में बीजेपी के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पार्टी राज्य में अपनी सत्ता को बनाए रखना चाहती है, साथ ही संघ भी अपने संगठन को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।
बीजेपी का हिंदू वोट बैंक पर फोकस
असम में विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी का सबसे बड़ा ध्यान हिंदू समुदाय को एकजुट करने पर है। पार्टी ने राज्य में हिन्दुत्व आधारित मुद्दों को प्राथमिकता दी है, ताकि वह अगले चुनाव में राज्य के हिंदू मतदाताओं का समर्थन पा सके। बीजेपी की योजना है कि वह अपने चुनावी अभियान को इन मुद्दों पर केंद्रित रखे, ताकि आगामी चुनाव में हिंदू वोटों की निर्णायक भूमिका हो।
Read More: Mohan Bhagwat ने क्यों कहा- हिंदू धर्म भी रजिस्टर्ड नहीं जानें राज
