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इतिहासउत्तर प्रदेशदेश

जानें करगिल युद्ध में शहीद कैप्टन मनोज कुमार पांडेय की कहानी…

Shobhna Rastogi
Last updated: 2023/07/03 at 4:09 PM
Shobhna Rastogi 3 months ago
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कैप्टन मनोज कुमार पांडेय बलिदान दिवसः करगिल युद्ध के समय शहीद कैप्टन मनोज कुमार पांडेय ने जिस वीरता का परिचय दिया वह सराहानीय था उसकी वजह से इन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। भारतीय सेना के यह वीर जवान दुश्मनों द्वारा कई गोलियों से घायल होने के पश्चात भी जंग के मैदान से भागे नही बल्कि निडरता के साथ दुश्मनों का सामना करते रहे। बता दें कि इन्होनें बंदूक को अपनी ऊंगलियों से नहीं हटाया और अकेले ही पाकिस्तानी घुसपैठियों के तीन बंकरो को नष्ट कर दिए।

कारगिल विजय के नायक, 'परमवीर चक्र' से सम्मानित कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के बलिदान दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!

आपका सर्वोच्च बलिदान असंख्य युवाओं को 'राष्ट्र सर्वोपरि' के भाव से राष्ट्र की संप्रभुता व अखंडता की रक्षा हेतु सदैव दीप्त करता रहेगा। pic.twitter.com/p8jgVanhGb

— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 3, 2023

लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय के पिता के अनुसार, इनके सेना में जाने का केवल एक ही उद्देश्य था परमवीर चक्र को हासिल करना। लेफ्टिनेंट पांडेय 1/11 गोरख रायफल्स के जवान थे। इनकी टीम को करगिल युद्ध के समय दुश्मन के ठिकानों को खाली करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। युद्ध का मैदान खालूबर था।

पूरी कहानी…

सीतापुर जिले के रुधा गांव में जन्मे मनोज पांडेय को 11 गोरखा रायलफल्स रेजिमेंट कड़ी ट्रेनिंग के बाद पहली तैनाती मिली थी। मनोज पांडेय अपनी यूनिट के साथ अलग-अलग इलाकों में गए। करगिल युद्ध के दौरान उनकी बटालियन सियाचिन में थी और उनका तीन महीने का कार्यकाल भी पूरा हो गया था। लेकिन उसी समय यह आदेश आया कि बटालियन को करगिल की ओर बढ़ना होगा है।

बता दें कि दो माह तक चलने वाले इस युद्ध के दौरान मनोज पांडेय ने आगे चलकर इसका नेतृत्व किया और कुकरथांग, जूबरटॉप जैसी चोटियों पर दुश्मनों को अपने नियंत्रण में लिया। लेकिन 3 जुलाई 1999 को जैसे ही खालूबार की चोटी पर अपना कब्जा करने के लिए आगे बढ़े कि विरोधियों ने उन पर अनगिनत गोलियां बरसाना शुरू कर दिया।

इसके बाद मनोज ने रात होने की प्रतिक्षा की। थोड़ी ही देर के बाद अंधेरा होना शुरू हुआ और इसके बाद इन्होंने विरोधियों के बंकरों को उड़ाना शुरू कर दिया इन्होंने पाकिस्तानी फौज के तीन बंकरों को तबाह कर दिया। मनोज पांडेय अपनी गोरखा पलटन लेकर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में ‘काली माता की जय’ के नारे लगाते हुए इन्होंने पाकिस्तानी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए।

लेकिन जब लेफ्टिनेंट मनोज शेष बंकरों को बम से उड़ाने के लिए आगे बढ़े ही थे कि दुश्मनों ने उन पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया जख्मी हालत में मनोज आगे बढ़ते रहे क्योंकि वह खालबार टॉप पर तिरंगा फहराना चाहते थे इसलिए लेफ्टिनेंट ने चौथे बंकर को भी उड़ाने में कामयाबी हासिल करने ही वाले थे लेकिन तभी दुश्मनों ने उन्हें देख लिया और उन पर अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी। अपने सीनियर जवान को शहीद होते देख भारतीय जवान रुके नहीं बल्कि चुन-चुन कर वहां के सारे बंकरों को खत्म कर दिया। अंततः भारतीय जवानों ने खालूबार पर तिरंगा लहरा ही दिया।

मनोज पांडेय की जीवनी…

मनोज कुमार पांडेय का जन्म 25 जून 1975 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में हुआ था। इन्होने अपनी शिक्षा सैनिक स्कूल लखनऊ में पूरी की और वहीं से उनमें अनुशासन भाव तथा देश प्रेम की भावना संचारित हुई जिसने इन्हे सेना मे भर्ती होने की प्रेरणा दी। इन्हें बचपन से ही इनकी माँ इन्हे वीरता की कहानियाँ सुनाया करती थीं और मनोज का हौसला बढ़ाती थीं कि जिससे इन्हे कभी भी जीवन के किसी भी मोड पर चुनौतियों से घबराएं नहीं बल्कि डट कर उसका सामना करे और हमेशा सम्मान तथा यश की परवाह करें। एनडीए पुणे में प्रशिक्षण के बाद यह 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट की पहली वाहनी के अधिकारी बने। 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध के कठिन मोर्चों में एक मोर्चा खालूबार का था जिसको फ़तह करने के लिए कमर कस कर उन्होने अपनी 1/11 गोरखा राइफल्स की अगुवाई करते हुए दुश्मन से जूझ गए और जीत हासिल कर के ही माने। हालांकि, इन कोशिशों में उन्हें अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी।

सेना के परमवीर चक्र से सम्मानित…

जब यह केवल 24 वर्ष की आयु में ही देश को अपनी वीरता और देश प्रेम के साथ हिम्मत का भी परिचय दे गए। कारगिल युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया। अब सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है।

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TAGGED: 'परमवीर चक्र', lucknow, pakistani infiltrators, Sitapur District, stories of bravery, पाकिस्तानी घुसपैठियों, लखनऊ, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय, वीरता की कहानियाँ, सीतापुर जिले
Shobhna Rastogi July 3, 2023 July 3, 2023
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