छोटे कद के नेता ने कैसे राजनीति में छोड़ा बड़ा प्रभाव…Mulayam Singh Yadav का ‘चरखा दांव’

उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की जयंती मनाई जा रही है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा और अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

Aanchal Singh
Mulayam Singh Yadav

Mulayam Singh Yadav Birth Anniversary: 22 नवंबर को समाजवादी पार्टी के संस्थापक, पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की जयंती मनाई जा रही है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा और अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “पद्म विभूषण मुलायम सिंह यादव जी की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.” सपा ने भी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से लिखा, “नेताजी मुलायम सिंह यादव जी की जयंती पर शत-शत नमन एवं भावपूर्ण श्रद्धांजलि।” डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी उन्हें नमन करते हुए कहा, “वरिष्ठ राजनेता मुलायम सिंह यादव जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन.”

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सैफई से राजनीति तक का सफर

सैफई से राजनीति तक का सफर

बताते चले कि, मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ. एक साधारण शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले मुलायम ने बाद में राजनीति का रास्ता अपनाया. 1967 में उन्होंने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया और राम सेवक यादव के सहयोग से राजनीति में कदम रखा. लोहिया के “संसोपा ने बांधी गांठ: पिछड़े सौ में साठ” नारे को उन्होंने अपनी राजनीति का आधार बनाया. 1980 के दशक में मुलायम सिंह ने चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल और लोकदल से जुड़कर उत्तर प्रदेश में अपनी पहचान बनाई। चरण सिंह की राजनीतिक विरासत की जंग में मुलायम ने खुद को साबित करते हुए उनके बेटे अजित सिंह पर बढ़त बनाई.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में उदय

1980 में कांग्रेस की वापसी के बाद उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे थे. इस दौरान मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने संघर्ष का रास्ता चुना. दस्यु उन्मूलन जैसे सवालों पर उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया. यह उनका संघर्ष ही था जिसने उन्हें उत्तर प्रदेश में विपक्ष का बड़ा चेहरा बना दिया. उन्होंने गांव-गांव जाकर जनसंपर्क किया और अपने संघर्ष के जरिए जनता के बीच अपनी जमीनी पकड़ मजबूत की। इसी ने उन्हें प्रदेश की राजनीति में प्रमुख नेता बना दिया.

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समाजवादी पार्टी की स्थापना

समाजवादी पार्टी की स्थापना

1992 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की. उनकी यह पार्टी जल्दी ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी. 1989 में वे पहली बार मुख्यमंत्री बने, इसके बाद 1993 और 2003 में भी उन्होंने यह पद संभाला. मुलायम सिंह यादव का नाम संघर्ष और किसानों, मजदूरों और पिछड़े वर्ग के हक के लिए लड़ने वाले नेता के रूप में जाना जाता है.

राष्ट्रीय राजनीति और उपलब्धियां

राष्ट्रीय राजनीति और उपलब्धियां

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) सिर्फ उत्तर प्रदेश की राजनीति तक सीमित नहीं रहे. उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी खास पहचान बनाई. वे देश के रक्षा मंत्री बने और इस दौरान उन्होंने भारतीय सेना की मजबूती के लिए कई अहम फैसले लिए. मुलायम सिंह यादव सात बार सांसद और आठ बार विधायक बने. उनके योगदान के लिए 26 जनवरी 2023 को उन्हें मरणोपरांत ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया.

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राजनीतिक चुनौतियां और संघर्ष

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने अपने राजनीतिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया. 1980 के दशक में कांग्रेस के प्रभुत्व के दौर में वे जनता पार्टी के साथ संघर्षरत रहे। उस समय उत्तर प्रदेश में दस्यु उन्मूलन के मुद्दे पर उनकी और कांग्रेस सरकार की तीखी बहस हुई. उन्होंने हमेशा संघर्ष का रास्ता अपनाया और जनता के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया.

अंतिम यात्रा और विरासत

अंतिम यात्रा और विरासत

83 साल की उम्र में 10 अक्टूबर 2022 को हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का निधन हो गया. उनके निधन से भारतीय राजनीति ने एक ऐसा नेता खो दिया जिसने संघर्ष, समर्पण और सादगी के बल पर न केवल राजनीति की ऊंचाइयों को छुआ बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम किया. मुलायम सिंह यादव का जीवन संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा. एक शिक्षक से लेकर उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बनने और देश के रक्षा मंत्री का पद संभालने तक, उनकी यात्रा प्रेरणादायक रही. उनकी जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है और उनकी विरासत को सम्मानपूर्वक नमन कर रहा है.

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