Bihar Politics : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां जैसे-जैसे तेज हो रही हैं, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी उतने ही तीखे होते जा रहे हैं। इसी कड़ी में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने सम्राट चौधरी की शैक्षणिक योग्यता और उनके नाम को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
क्या बिना मैट्रिक पास किए मिल सकती है डॉक्टरेट की डिग्री?
प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि सम्राट चौधरी ने आज तक मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं की है, जबकि वे खुद को कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट धारक बताते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर सम्राट चौधरी के पास डॉक्टरेट की डिग्री है, तो उन्होंने मैट्रिक कब और कैसे पास की?”उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका के अनुसार सम्राट कुमार मौर्य नाम से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा दी थी, जिसमें उन्हें केवल 234 अंक मिले थे और वे फेल हो गए थे। साल 2010 में सम्राट चौधरी ने चुनावी हलफनामे में खुद को सातवीं पास बताया था। इसके बावजूद उनके पास डॉक्टरेट की डिग्री कैसे आई, यह सवाल उठ रहा है।
चुनाव आयोग पर भी उठाया सवाल
प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “चुनाव आयोग ऐसे गंभीर मामलों पर चुप क्यों है? क्या किसी भी व्यक्ति को बिना आधार जांचे उम्मीदवार बनने की अनुमति दी जा सकती है?” उन्होंने कहा कि यह केवल बिहार की राजनीति नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गुणवत्ता से जुड़ा मामला है।
नाम बदलने की कहानी भी सामने लाई
प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी के नाम को लेकर भी सनसनीखेज दावा किया। उन्होंने कहा कि उनका असली नाम राकेश कुमार था, जो बाद में सम्राट कुमार मौर्य और फिर सम्राट चौधरी बन गया। उन्होंने आरोप लगाया कि नाम बदलकर कई बार पहचान छिपाने की कोशिश की गई है।
हत्या के मामले का भी जिक्र
प्रशांत किशोर ने वर्ष 1998 की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि सम्राट चौधरी पर उस समय एक बम विस्फोट में छह लोगों की हत्या का आरोप लगा था, जिसमें उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी सदानंद सिंह भी मारे गए थे। किशोर ने दावा किया कि नाबालिग होने के कारण उन्हें रिहा कर दिया गया था, लेकिन जब मंत्री बनाए गए तो उम्र के विवाद के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया था। बिहार की राजनीति में यह बयानबाज़ी सिर्फ व्यक्तिगत हमले नहीं, बल्कि राजनीतिक चरित्र और पारदर्शिता पर सवाल है। चुनावी साल में ऐसे आरोपों का असर मतदाताओं पर कितना होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन एक बात तय है कि बिहार चुनाव 2025 दिलचस्प मोड़ लेने वाला है।
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