Hyderabad Forest: तेलंगाना में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (यूओएच) के पास स्थित कांचा गचीबावली जंगल को काटने को लेकर विवाद गहरा गया है। यह जंगल 400 एकड़ में फैला हुआ है और तेलंगाना सरकार इस जमीन को आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए उपयोग करना चाहती है। हालांकि, छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे पर्यावरण और स्थानीय जैव विविधता को गंभीर नुकसान होगा। ये मामला अब अदालत तक पहुंच चुका है और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश, तुरंत कार्रवाई की जरूरत
बताते चले कि, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को कांचा गचीबावली जंगल का दौरा कर 3:30 बजे तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अगले आदेश तक जंगल में कोई पेड़ न काटा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह तेलंगाना हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक नहीं लगा रहा है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है।
छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का विरोध
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र और पर्यावरण कार्यकर्ता इस जंगल की कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह जंगल विश्वविद्यालय से सटा हुआ है और इसके काटने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि इलाके की जैव विविधता भी प्रभावित होगी। कई रिपोर्ट्स में इस इलाके में झीलों और खास प्रकार की चट्टानों के नुकसान की बात भी उठाई गई है। छात्रों का आरोप है कि सरकार इस मामले में छात्रों को गुमराह कर रही है और यह जमीन निजी कंपनियों के लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।
तेलंगाना सरकार का पक्ष और भूमि विवाद
तेलंगाना सरकार का कहना है कि यह जमीन पूरी तरह से सरकारी है और 2004 में इसे राज्य सरकार को सौंप दिया गया था। सरकार ने बताया कि 2004 में यह जमीन IMG अकादमी भारत प्राइवेट लिमिटेड को खेल सुविधाओं के विकास के लिए दी गई थी, लेकिन 2006 में प्रोजेक्ट शुरू नहीं होने पर यह जमीन वापस ले ली गई और आंध्र प्रदेश युवा उन्नति, पर्यटन और सांस्कृतिक विभाग को सौंप दी गई। इसके खिलाफ IMG अकादमी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन 7 मार्च 2024 को कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।
केंद्र सरकार का दखल और पर्यावरण मंत्रालय का आदेश
केंद्र सरकार भी इस मामले में दखल दे चुकी है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने तेलंगाना सरकार को अवैध पेड़ कटाई पर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि सरकार को पर्यावरण कानूनों और कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन करना होगा और तत्काल एक रिपोर्ट भेजनी होगी, जिसमें पूरी स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
विवाद के बीच छात्रों का विरोध
तेलंगाना सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस क्षेत्र में कोई झील या पानी का स्रोत नहीं है, इसलिए पानी की कमी का कोई खतरा नहीं है। सरकार ने यह भी कहा कि मशहूर ‘मशरूम रॉक’ जैसी चट्टानों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इसके बावजूद, कुछ राजनीतिक नेताओं और रियल एस्टेट समूहों पर आरोप है कि वे छात्रों को गुमराह कर रहे हैं। इस बीच, तेलंगाना हाईकोर्ट ने सरकार को 3 अप्रैल तक किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जारी
अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों में सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है, जबकि राज्य सरकार को पूरी स्थिति पर रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजनी होगी। हाईकोर्ट के आदेश के तहत, राज्य सरकार को कोई भी निर्माण कार्य नहीं करने दिया जा रहा है। छात्रों का विरोध जारी है और सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।