IIT Baba Abhay Singh:आईआईटी से स्नातक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के बाद लाखों रुपये की सैलरी छोड़कर अध्यात्म की राह पर चलने वाले बाबा अभय सिंह की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह यह भी दिखाती है कि जीवन के सच्चे उद्देश्य को पाने के लिए कभी-कभी बाहरी भौतिक सफलता को त्यागना पड़ता है।
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लाखों की नौकरी छोड़ने की वजह
बाबा अभय सिंह का असली नाम अभय सिंह है और वह हरियाणा के झज्जर जिले के निवासी हैं। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उनके जीवन में एक मोड़ तब आया जब उन्हें एक बड़ी कंपनी से लाखों रुपये की नौकरी का प्रस्ताव मिला और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। शुरू में यह नौकरी उनके लिए आकर्षक और भौतिक रूप से सटीक लग रही थी, लेकिन समय के साथ उन्होंने महसूस किया कि यह जीवन का असली उद्देश्य नहीं है।

अभय सिंह ने बताया कि इस दौरान उन्हें ह्यूमैनिटी, फिलॉसॉफी और जीवन के असली अर्थ को समझने के लिए कई किताबें पढ़ने का अवसर मिला। उन्होंने सुकरात, प्लेटो जैसे दार्शनिकों की रचनाएं पढ़ीं और जीवन को एक नई दृष्टि से देखना शुरू किया। यह मानसिक बदलाव उनके जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का कारण बना।
कनाडा में भी किया काम, फिर लौटे भारत
अभय सिंह ने कनाडा में भी काम किया, लेकिन वहाँ भी वह आत्मिक संतुष्टि की खोज में लगे रहे। उन्होंने फोटोग्राफी में भी अपना हाथ आजमाया और कई जगहों पर यात्रा कर तस्वीरें खींचीं, लेकिन फिर भी उन्हें वह मानसिक शांति नहीं मिली, जिसे वह तलाश रहे थे। इस दौरान वह मानसिक दबाव और डिप्रेशन का शिकार हो गए, लेकिन उनकी बहन ने उन्हें संभालते हुए भारत वापस लौटने की सलाह दी।

भारत लौटने के बाद, उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक विधाओं की गहरी पढ़ाई शुरू की और चार धाम की यात्रा की। यह यात्रा उनके जीवन का turning point साबित हुई और इसने उन्हें आंतरिक शांति और संतुलन की ओर अग्रसर किया। इस अनुभव ने उन्हें जीवन का असली उद्देश्य और आंतरिक संतोष पाया।
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आध्यात्मिकता में मिली शांति

आज बाबा अभय सिंह ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान शिव को समर्पित कर दी है। वह कहते हैं, “अब मुझे आध्यात्मिकता में सच में सुख और शांति मिल रही है। मैं अब साइंस के माध्यम से आध्यात्म को समझने की कोशिश कर रहा हूं और उसकी गहराइयों में जा रहा हूं। सब कुछ शिव है। सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है।”

