Impeachment Motion: CEC ज्ञानेश कुमार पर सबसे बड़ा आरोप क्या? विपक्ष ने महाभियोग लाने का फैसला क्यों लिया?

बिहार समेत कई राज्यों की वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटाने के विवाद और राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण बयान देने के आरोप में विपक्षी दल (INDIA ब्लॉक) मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पद से हटाने के लिए शीतकालीन सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं; जानिए CEC को हटाने की संवैधानिक प्रक्रिया क्या है और क्या विपक्ष के पास इसे पारित कराने के लिए संसद में पर्याप्त संख्याबल है।

Chandan Das
Impeachment Motion
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Impeachment Motion: लोकसभा में नेता विपक्ष ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें SIR (Special Inspection Report) लागू करने के मुद्दे पर दोषी ठहराया है। विपक्ष का कहना है कि SIR का इस्तेमाल वोटों की चोरी करने के लिए किया गया। इस आरोप को लेकर विपक्ष और अधिक हमलावर हो गया है, खासकर बिहार चुनाव में हार के बाद। अब विपक्ष अपने अगले कदम के रूप में इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों से बातचीत कर रहा है और संसद के शीतकालीन सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए एक प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है।

Impeachment Motion: विपक्ष के पास प्रस्ताव पास कराने के लिए आवश्यक आंकड़े नहीं

हालांकि, विपक्ष के पास ऐसा प्रस्ताव पारित करने के लिए आवश्यक संख्या नहीं है, लेकिन वे इस मुद्दे को उठा सकते हैं। उनके पास अपनी तरफ से साक्ष्य हैं और वे प्रस्ताव को संसद में लाने के लिए तैयार हैं। विपक्ष के लिए यह प्रस्ताव सिर्फ एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि बिहार में हार के बाद इंडिया ब्लॉक में हुए बिखराव की खबरों और सहयोगी दलों के दबाव को दूर करने की एक रणनीति भी है। SIR और वोट चोरी के मुद्दे पर ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, लेफ्ट, शिवसेना और स्टालिन जैसे विपक्षी नेता भी सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ खड़े हैं।

Impeachment Motion:विपक्ष का मकसद: अपनी बात जनता तक पहुंचाना

विपक्ष को यह अच्छी तरह से पता है कि वह प्रस्ताव तो ला सकता है, लेकिन उसे पास नहीं करा सकता। हालांकि, इस प्रस्ताव के जरिए वह अपने चार प्रमुख बिंदुओं को जनता तक पहुंचाना चाहता है। इन बिंदुओं में सबसे अहम बिंदु यह है कि प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की चयन समिति में कानून लाकर अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की जगह एक कैबिनेट मंत्री को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, चुनाव आयोग के कामकाज और निर्णयों के लिए अब उन्हें कानूनी सुरक्षा मिल गई है, यानी उनके खिलाफ कोई दीवानी या फौजदारी मुकदमा दायर नहीं हो सकता।

चुनाव आयोग का विपक्ष पर दबाव और आरोप

विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग ने सत्ता पक्ष के साथ मिलकर SIR प्रक्रिया को लागू किया, वोटर लिस्ट में धांधली की, और महज 45 दिन के भीतर सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर दिए। चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों को अनसुना कर दिया और सत्ता पक्ष के पक्ष में काम किया, जिसे विपक्ष लोकतंत्र के लिए खतरनाक मानता है। विपक्ष का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया विपक्षी पार्टियों को कमजोर करने और सत्ता पक्ष के पक्ष में चुनावी माहौल तैयार करने का एक तरीका है।

कांग्रेस की उम्मीद: संसद में चर्चा से एकजुटता का संदेश मिलेगा

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को उम्मीद है कि अगर इस मुद्दे पर संसद में चर्चा और वोटिंग होती है, तो उन्हें अपनी बात खुलकर रखने का अवसर मिलेगा। इससे न सिर्फ उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिलेगा, बल्कि इंडिया ब्लॉक के अन्य दलों को एकजुट भी किया जा सकेगा। विपक्षी नेताओं को यह उम्मीद है कि इस मुद्दे पर एकजुट होकर वे सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग पर दबाव बना सकते हैं। इससे पूरे विपक्ष को एकजुट दिखाने का अवसर मिलेगा, जबकि सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग को एक पाले में रखा जाएगा।

विपक्ष के प्रयास: अपने नैरेटिव को सेट करना

विपक्ष, खासकर कांग्रेस, इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र का उपयोग करने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य न सिर्फ चुनाव आयोग और सत्ता पक्ष के खिलाफ अपनी बात को मजबूती से प्रस्तुत करना है, बल्कि इंडिया ब्लॉक के तहत एकजुटता को भी दिखाना है। कांग्रेस को यह विश्वास है कि इस प्रस्ताव के जरिए वह न सिर्फ अपनी राजनीतिक स्थिति को सुदृढ़ कर पाएगी, बल्कि पूरे विपक्ष को एकजुट कर अपने नैरेटिव को सेट कर सकेगी।

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