Ran Samvad 2025 : मध्यप्रदेश के महू में आयोजित रण संवाद 2025 के दूसरे दिन, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता और स्पष्ट संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है और इसके लिए किसी अन्य देश की भूमि की आवश्यकता नहीं है। देश हर परिस्थिति में अपनी जमीन की रक्षा के लिए तैयार है।
“चुनौतियां बड़ी, लेकिन संकल्प उससे भी बड़ा”
राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट किया कि भारत के सामने मौजूद सुरक्षा चुनौतियां गंभीर हैं, लेकिन देश का संकल्प और हौसला उनसे कहीं अधिक मजबूत है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अपनी सैन्य शक्ति के लिए बल्कि सत्य, शांति और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए भी विश्व में सम्मानित है। रक्षा मंत्री ने बताया कि देश की सुरक्षा केवल सीमा पर तैनात सैनिकों का काम नहीं है। इसमें वैज्ञानिक, उद्योगपति और शिक्षा जगत के लोग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो नई तकनीकों और हथियार प्रणालियों के विकास में योगदान करते हैं। वे अगली पीढ़ी को युद्ध के लिए तैयार करते हैं।
आधुनिक युद्ध का स्वरूप बदल चुका है
उन्होंने बताया कि आज का युद्ध सिर्फ जमीन, समुद्र या आकाश तक सीमित नहीं रहा। अब यह अंतरिक्ष और साइबर स्पेस तक भी फैला है। सैटेलाइट सिस्टम, एंटी-सैटेलाइट हथियार, स्पेस कमांड सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और साइबर युद्ध आधुनिक युद्ध की नई दिशा तय कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज का युद्ध नॉन-लीनियर और मल्टी डोमेन वारफेयर का युग है, जहां कोई एक निश्चित रणनीति काम नहीं करती। इसलिए देश को अपनी सुरक्षा नीतियों को लचीला और समय के अनुसार अपडेट रखना होगा। युद्ध नीति में अंधविश्वास से बचना आवश्यक है।
भारतीय संस्कृति में संवाद की महत्ता
राजनाथ सिंह ने भारतीय परंपरा में युद्ध से पहले संवाद को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर संवाद की कमी ही टकराव और शत्रुता की बड़ी वजह है। युद्ध के दौरान भी संवाद के द्वार खुले रखना भारत की संस्कृति की एक विशेषता है। रक्षा मंत्री ने रण संवाद को केवल विचारों के आदान-प्रदान का स्थान नहीं, बल्कि भारत की सामरिक और कूटनीतिक सोच को मजबूत करने वाला एक अहम मंच बताया। इस संवाद से निकलने वाले विचार देश की रक्षा रणनीति और दीर्घकालिक कूटनीति को नई दिशा देंगे।
लेफ्टिनेंट जनरल हरजीत सिंह शाही का दृष्टिकोण
आर्मी वॉर कॉलेज के लेफ्टिनेंट जनरल हरजीत सिंह शाही ने रण संवाद को युद्ध कला और संचालन के प्रशिक्षण के लिए विशेष मंच कहा। उन्होंने बताया कि यह मंच यूनिफॉर्म लर्नर्स, स्कॉलर्स, टेक्नोलॉजिस्ट, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत को जोड़कर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श कराता है। इस वर्ष के रण संवाद का थीम है – “इम्पैक्ट ऑफ टेक्नोलॉजी ऑफ वॉर फेयर”, जो आधुनिक युग में युद्ध में तकनीकी प्रगति के प्रभावों और चुनौतियों पर केंद्रित है। इस थीम के तहत भारत अपनी रक्षा नीतियों को अधिक मजबूत और आधुनिक बनाने का प्रयास कर रहा है।
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