Independence Day 2025: जन गण मन केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारतीयों के लिए गर्व और देशभक्ति का प्रतीक है। जब यह गीत गाया जाता है, तो 140 करोड़ भारतीयों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह हमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान और उनके संघर्षों की याद दिलाता है। आज, जब हमारी आजादी के 78 साल पूरे हो चुके हैं, यह जानना जरूरी है कि हमारे राष्ट्रगान का इतिहास क्या रहा और कैसे यह हमारे देश का प्रतीक बना।
Read more: Independence Day: PM मोदी लाल किले से देंगे ‘नए भारत’ का संदेश, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का मनेगा जश्न
जन गण मन की उत्पत्ति

भारत का राष्ट्रगान जन-गण मन प्रसिद्ध कवि और लेखक रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया बंगाली गीत भारत-भाग्यो बिधाता का हिंदी रूपांतरण है। इस गीत की रचना टैगोर ने 5 स्टेंजा में की थी और यह पहली बार 1905 में बंगाल की पत्रिका तत्वबोधिनी पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
टैगोर ने इस गीत का अंग्रेज़ी अनुवाद 1919 में किया और इसे The Morning Song of India नाम दिया। बाद में 1943 में इसे हिंदी में अनूदित किया गया। इस तरह, जन गण मन का मूल स्वरूप स्वतंत्रता से कई दशक पहले ही तैयार हो चुका था।
राष्ट्रगान का चयन
साल 1942 में, जब जर्मनी में भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश के खिलाफ प्रशिक्षण दिया जा रहा था, तब सुभाष चंद्र बोस ने सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए देशगीत के विचार को अपनाया। उस समय तक भारत-भाग्यो बिधाता भारत में एक लोकप्रिय गीत बन चुका था। राष्ट्रगान तय करने के लिए बर्लिन में एक मीटिंग आयोजित की गई। इस मीटिंग में बोस ने आज़ाद भारत के राष्ट्रगान के लिए यह गीत सबसे उपयुक्त पाया और इसे देश का राष्ट्रगान घोषित किया।
हिंदी अनुवाद
पूरे भारत में इस गीत को पहुँचाने के लिए बोस ने अपनी आर्मी के दो जनरलों मुमताज़ हुसैन और आबिद हसन साफ़रानी को इसका हिंदी अनुवाद करने के लिए कहा। उन्होंने इस गीत का हिंदी रूपांतरण शुभ सुख चैन नाम से किया।
इसके बाद 1943 में इंडियन नेशनल आर्मी के कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने इस गीत को मिलिट्री बीट के साथ संगीतबद्ध किया। इस संगीतबद्ध संस्करण ने जन गण मन को सेना और आम जनता में तेजी से लोकप्रिय बनाया।
आज जन गण मन सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारत की एकता, स्वतंत्रता और गौरव का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी स्वतंत्रता केवल किसी दिन की उपलब्धि नहीं, बल्कि असंख्य बलिदानों और संघर्षों का परिणाम है। 78 सालों के इतिहास में इस गीत ने हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना जगाई और आज भी यह हर समारोह, स्कूल, और राष्ट्रीय कार्यक्रम का अभिन्न हिस्सा है।


