Jairam Ramesh On GDP: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में आई मंदी ने समग्र आर्थिक प्रदर्शन पर गहरा असर डाला है. रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग क्षेत्र की वृद्धि दर दूसरी तिमाही में घटकर पिछले छह तिमाहियों के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत पर आ गई, जिससे कुल वृद्धि दर में गिरावट आई. इसके अलावा, रिपोर्ट में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान समग्र वृद्धि दर में और गिरावट आने की संभावना जताई गई है. चालू वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.5 प्रतिशत से कम की वृद्धि होने की आशंका है, क्योंकि दूसरी तिमाही (Q2 FY25) में जीडीपी वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत तक धीमी हो गई है. एसबीआई की रिपोर्ट में इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.
पीएम मोदी पर लगाए गंभीर आरोप

बताते चले कि, कांग्रेस ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में मंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने दावा किया कि भारत के विकास दर में गिरावट आई है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी केवल प्रचार-प्रसार में व्यस्त हैं. उन्होंने जीडीपी के हालिया आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस मंदी का मुख्य कारण श्रमिकों की स्थिर मजदूरी और निजी निवेश का ठहराव है, जिससे देश की दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता में तेजी से कमी हो रही है.
जीडीपी आंकड़ों में आई गिरावट: केवल 5.4% की वृद्धि

जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि जुलाई से सितंबर 2024 के लिए जारी किए गए जीडीपी विकास के आंकड़े अनुमान से कहीं अधिक खराब हैं. इस तिमाही में भारत की जीडीपी केवल 5.4 प्रतिशत बढ़ी है, जो बेहद मामूली है, और खपत में केवल 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके सहयोगी इस मंदी के कारणों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं और केवल सकारात्मक प्रचार में लगे हुए हैं.
मजदूरी की स्थिरता और निजी निवेश का ठहराव
इसी कड़ी में आगे, जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की नई रिपोर्ट, “लेबल डायनामिक्स ऑफ इंडियन स्टेट्स”, ने इस मंदी के असली कारण को स्पष्ट किया है. रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि पिछले पांच वर्षों में देशभर में श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी स्थिर बनी रही है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर देखी जा रही है, जहां श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई. इसके अलावा, हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मजदूरी में गिरावट भी देखी गई है.
देश की आर्थिक मंदी का मुख्य कारण ?

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस स्थिर मजदूरी का परिणाम यह हुआ है कि औसत भारतीय आज 10 साल पहले की तुलना में कम खरीदारी कर पा रहा है. उनका दावा था कि इन स्थितियों ने भारतीयों की क्रय शक्ति को काफी प्रभावित किया है, और यही कारण है कि देश में आर्थिक मंदी आई है. जयराम रमेश ने कहा, “2014 से 2023 के बीच मजदूरी में कोई वृद्धि नहीं हुई, बल्कि 2019 से 2024 के बीच तो इसमें गिरावट ही आई है.” उन्होंने मनमोहन सिंह के कार्यकाल का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय खेतिहर मजदूरों की वास्तविक मजदूरी हर साल 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी, जबकि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में यह गिरकर 1.3 प्रतिशत की दर से घट गई है.
प्राइवेट निवेश की सुस्ती
जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि जीडीपी के तिमाही आंकड़ों से यह भी साफ होता है कि निजी निवेश ठहरा हुआ है, और इसके परिणामस्वरूप देश की दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता तेजी से खत्म हो रही है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इस गंभीर मुद्दे को कब तक नजरअंदाज किया जाएगा. आखिरकार, जयराम रमेश ने इस स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा, “भारत के लोग उम्मीदों में जी रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री मोदी केवल हाइप (प्रचार-प्रसार) बनाने में लगे हैं”.