Ajit Doval statement : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत इस समय बदलाव के दौर से गुजर रहा है और इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने पड़ोसी देशों में हाल ही में हुए तख्तापलट का भी जिक्र करते हुए कहा कि बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और अन्य देशों में गैर-संवैधानिक तरीके से सत्ता परिवर्तन का मुख्य कारण कुशासन रहा है।
संस्थाओं के माध्यम से काम करती हैं सरकारें
अजीत डोभाल ने कहा, “कोई देश चाहे शक्तिशाली हो या कमजोर, वास्तव में उसकी सरकार ही उसकी शक्ति होती है। जब सरकारें कमजोर और स्वार्थ से प्रेरित होती हैं तो परिणाम भी वैसा ही होता है। सरकारें संस्थाओं के माध्यम से काम करती हैं और राष्ट्र निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण वे लोग होते हैं जो इन संस्थाओं का निर्माण करते हैं। महान साम्राज्यों, राजतंत्रों, कुलीनतंत्रों, अभिजाततंत्रों या लोकतंत्रों का उत्थान और पतन वहां की सरकार की वजह से होता है।”
आज सरदार पटेल की जरूरत सबसे अधिक
NSA ने आगे कहा, “मेरा मानना है कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सरकार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि उसे उसके लक्ष्यों की प्राप्ति में भी सक्षम बनाती है। 2025 में हमें सरदार पटेल की दूरदर्शिता और नेतृत्व की पहले से कहीं अधिक जरूरत है।”
भारत और दुनिया में बदलाव का दौर
अजीत डोभाल ने बताया कि भारत केवल आंतरिक बदलाव ही नहीं देख रहा, बल्कि पुरानी शासन व्यवस्थाओं, सरकारी-सामाजिक ढांचे और वैश्विक व्यवस्था में भी परिवर्तन की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा, “दुनिया भी बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। किसी भी बदलाव में सबसे जरूरी है कि हम डरें नहीं और संभावित खतरों के सामने झुकें नहीं। हमें खुद को मजबूत बनाकर तैयार करना होगा। सभ्यता को राष्ट्र-राज्य में परिवर्तित करना एक अद्भुत कार्य है और इसके लिए सरकार को अपेक्षाओं से परे सोचने और कार्य करने की आवश्यकता है।”
कानून और नीतियां लोगों के अनुकूल हों
NSA ने कानून, नियम और प्रक्रियाओं पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा, “हमें अपने कानूनों और नीतियों की व्यवस्था पर ध्यान देना होगा और उन्हें लोगों के अनुकूल बनाना होगा। हमारी योजनाओं और नीतियों को जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए। लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए और उन्हें सुरक्षा की भावना दी जानी चाहिए।”अजीत डोभाल की ये टिप्पणियां न केवल भारत की आंतरिक सुदृढ़ता की दिशा में संकेत देती हैं, बल्कि पड़ोसी देशों में शासन और लोकतंत्र की कमजोरियों पर भी गंभीर संकेत देती हैं।
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