India Rupee Trade: डॉलर पर निर्भरता कम करने की दिशा में भारत का बड़ा कदम,अब रुपये में होगा व्यापार

Chandan Das
Dolar

India Rupee Trade: अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर एक और बड़ा फैसला लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को निर्देश जारी किया है कि वे BRICS देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के साथ सभी आयात-निर्यात लेन-देन भारतीय करेंसी रुपये में करने की सुविधा व्यापारियों को दें। अब इस प्रक्रिया के लिए बैंकों को RBI से पहले से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। Vostro अकाउंट के जरिए यह प्रक्रिया सरल और तेज होगी।

रुपये को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय मान्यता

भारत सरकार इस फैसले के जरिए रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक करेंसी के रूप में स्थापित करना चाहती है। RBI के इस नए निर्देश से रुपये को वैश्विक मंच पर मजबूती मिलेगी और विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दबाव कम होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला भारत की आर्थिक स्वतंत्रता को और मजबूती देगा, खासकर तब जब पश्चिमी देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है।

RBI से मंजूरी लेने की बाध्यता

इस व्यवस्था के तहत भारतीय बैंकों में विदेशी बैंकों के खाते यानी Vostro अकाउंट खोले जाएंगे। इन खातों के माध्यम से भारतीय व्यापारी BRICS देशों से आयात या निर्यात का भुगतान सीधे रुपये में कर सकेंगे। RBI ने साफ कर दिया है कि अब बैंकों को हर बार इस तरह के लेन-देन के लिए केंद्रीय बैंक से पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे प्रक्रिया तेज और बाधारहित हो जाएगी।

डॉलर पर 100 अरब डॉलर की निर्भरता घटेगी

वर्तमान में भारत अपने लगभग 85% विदेशी व्यापार का निपटारा अमेरिकी डॉलर में करता है। लेकिन अगर इस फैसले के बाद 10 से 15 प्रतिशत व्यापार रुपये में स्थानांतरित होता है, तो इससे डॉलर पर भारत की वार्षिक निर्भरता में लगभग 100 अरब डॉलर की कमी आ सकती है। इससे न सिर्फ डॉलर की मांग घटेगी, बल्कि भारत के भुगतान संतुलन (Balance of Payments) में भी स्थिरता आएगी।

अमेरिकी टैरिफ के जवाब में भारत की रणनीतिक चाल

अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किए जाने को भारत ने गंभीरता से लिया है। जवाब में यह फैसला भारत की रणनीतिक और आर्थिक सोच को दर्शाता है। भारत अब अपनी मुद्रा को वैश्विक व्यापार में प्रोत्साहित कर अमेरिकी दबाव को कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दीर्घकालिक रूप से भारत को वैश्विक व्यापार में एक नई पहचान देगा।

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