India Ukraine talks: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच एक अहम फोन वार्ता हुई है। दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब रूस-यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। बातचीत के दौरान जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन की मौजूदा स्थिति और हालिया घटनाक्रमों की जानकारी दी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ओर से शांति बहाली के प्रयासों में हर संभव सहयोग देने की प्रतिबद्धता दोहराई।
सितंबर में संभावित मुलाकात
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच सितंबर 2025 में एक मुलाकात संभावित है। इस प्रस्तावित मुलाकात को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है, जो न केवल भारत-यूक्रेन द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देगा, बल्कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाने में भी सहायक हो सकता है।
द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा
फोन बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और यूक्रेन के आपसी संबंधों की भी समीक्षा की। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत हमेशा परस्पर संवाद और कूटनीति में विश्वास करता है और वह किसी भी संघर्ष को शांतिपूर्वक सुलझाने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन की संप्रभुता, पुनर्निर्माण और मानवीय सहायता के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने अपने X (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट कर बताया कि राष्ट्रपति जेलेंस्की से विचार-विमर्श सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण रहा। उन्होंने लिखा:
“यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात करके अच्छा लगा। हमने द्विपक्षीय सहयोग और शांति की दिशा में कदमों पर चर्चा की। भारत शांति और स्थिरता का पक्षधर है और हम संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं।”
भारत-यूक्रेन संबंध: एक दृष्टि
भारत और यूक्रेन के संबंध वर्ष 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद बने थे। दोनों देशों के बीच 1992 से राजनयिक संबंध स्थापित हैं। भारत ने हमेशा यूक्रेन के साथ आर्थिक, रक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी है।
भारत ने यूक्रेन से An-32 परिवहन विमान, गैस टरबाइन, SU-30MKI लड़ाकू विमान के लिए R-27 मिसाइलें खरीदी हैं। यूक्रेनी कंपनी Zorya Mashproekt भारतीय नौसेना के लिए टरबाइन इंजन सप्लाई करती है। भारत, यूक्रेन से सूरजमुखी का तेल आयात करता है, जो खाद्य तेल आपूर्ति का एक अहम हिस्सा है। वर्ष 2024 में भारत ने ‘BHISHM – भारत हेल्थ इनिशिएटिव’ के तहत यूक्रेन को 5 मोबाइल अस्पताल गिफ्ट किए थे।
भारत की भूमिका और कूटनीतिक संतुलन
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एक तटस्थ रुख अपनाया है। भारत ने संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देते हुए युद्ध की सीधी निंदा से परहेज किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और जेलेंस्की दोनों से बातचीत कर संघर्षविराम और शांति बहाली की पहल की है। भारत ने हाल ही में प्रस्तावित ट्रंप-पुतिन शांति वार्ता (सितंबर 2025) का समर्थन भी किया है, जिसे वैश्विक कूटनीति के लिहाज़ से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच हुई यह वार्ता भारत की ग्लोबल कूटनीतिक भूमिका को रेखांकित करती है। जहां एक ओर भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी पक्ष का सीधा समर्थन नहीं कर रहा है, वहीं वह दोनों पक्षों को संवाद की मेज़ पर लाने की दिशा में सक्रिय रूप से प्रयासरत है। अब सबकी निगाहें सितंबर में होने वाली संभावित मुलाकात पर हैं, जिससे यूक्रेन संकट को हल करने की दिशा में नया मोड़ आ सकता है।
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