India US LPG Deal: अमेरिका द्वारा उच्च टैरिफ लगाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच जो व्यापारिक तनाव पैदा हुआ था, वह धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक बातचीत और समझौते की उम्मीदें बढ़ रही हैं। इसी क्रम में भारत ने अमेरिका के साथ लंबे समय तक एलपीजी आयात के लिए एक बड़ी डील की है। इस डील का उद्देश्य केवल व्यापार बढ़ाना नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाना भी है।
India US LPG Deal:ऐतिहासिक समझौते की घोषणा
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस डील को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह भारत की तेजी से बढ़ती एलपीजी मार्केट के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पुरी ने बताया कि देश ने औपचारिक रूप से अमेरिका के लिए अपना एलपीजी बाजार खोल दिया है। उनका कहना था कि सरकार की प्राथमिकता देशवासियों को किफायती दरों पर एलपीजी उपलब्ध कराना और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
India US LPG Deal:आपूर्ति में विविधता लाने का कदम
पुरी ने आगे कहा कि इस समझौते के माध्यम से आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाई जा रही है। इसका लाभ यह होगा कि वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत की एलपीजी आपूर्ति निर्बाध बनी रहे। यह कदम देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसे लंबी अवधि के लिए रणनीतिक निवेश और साझेदारी का उदाहरण बताया।
सालाना 2.2 मिलियन टन का आयात
सरकारी तेल कंपनियों ने इस डील के तहत 2026 के लिए करीब 2.2 मिलियन टन एलपीजी गैस आयात करने का समझौता किया है। यह मात्रा भारत की कुल एलपीजी आयात की लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत के ऊर्जा सुरक्षा प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। इस डील से न केवल भारत की आपूर्ति सुरक्षित होगी, बल्कि घरेलू कीमतों पर भी स्थिरता आने की उम्मीद है।
भारत की एलपीजी जरूरत और उज्ज्वला योजना
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता है। घरेलू मांग लगातार बढ़ रही है, जिसे देखते हुए सरकार ने उज्ज्वला योजना के माध्यम से आपूर्ति बढ़ाई है। इस योजना के तहत कम आय वाले परिवारों को सब्सिडी पर एलपीजी कनेक्शन दिए जाते हैं। इस समय भारत की कुल एलपीजी जरूरत का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा आयात किया जाता है, जिनमें अधिकांश आपूर्ति पश्चिमी एशियाई बाजार से होती है।
डील का रणनीतिक महत्व
विशेषज्ञों के अनुसार, यह समझौता केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक बाजार में उसके प्रभाव को भी बढ़ाता है। अमेरिका के साथ इस तरह की लंबी अवधि की डील से भारत को आपूर्ति में स्थिरता मिलेगी और देश की घरेलू कीमतों में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह डील भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों को भी मजबूत करेगी और उच्च टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित होगी।
भारत-यूएस एलपीजी डील न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक व्यापारिक संबंधों में सुधार का प्रतीक भी है। आने वाले वर्षों में इस समझौते का असर घरेलू बाजार, ऊर्जा आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग दोनों पर सकारात्मक रूप से देखने को मिलेगा। यह कदम भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जिससे भविष्य में ऊर्जा संकट और वैश्विक अस्थिरताओं का सामना करने की क्षमता बढ़ेगी।
Read More: India US Trade Deal: ट्रेड डील से भारतीय बाजार में उछाल, निवेशकों की उम्मीदें बढ़ीं
