India US Tariff:अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत समेत 70 से अधिक देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब भारत भी अपनी रणनीतिक प्रतिक्रिया की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जिसे 1 अगस्त 2025 से लागू किया जाना था, लेकिन बाद में इसे एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया।इस घोषणा ने दोनों देशों के व्यापारिक और रक्षा संबंधों पर असर डालना शुरू कर दिया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब अमेरिका से अत्याधुनिक F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदने को लेकर उत्साहित नहीं है और उसने इस डील पर ‘संवेदनशील चुप्पी’ साध ली है।
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डील पर विराम या रणनीतिक पलटवार?

एफ-35 फाइटर जेट्स अमेरिका की ओर से प्रस्तावित उन रक्षा सौदों में शामिल है, जिन्हें भारत के साथ साझा करने की बात चल रही थी। यह जेट तकनीक के मामले में सबसे उन्नत माने जाते हैं, लेकिन भारत ने फिलहाल इसे खरीदने में रुचि नहीं दिखाई है।कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि भारत की यह चुप्पी सिर्फ सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि अमेरिका के टैरिफ फैसले पर एक तरह की राजनयिक प्रतिक्रिया भी हो सकती है। यह कदम भारत की ओर से यह जताने के लिए उठाया गया है कि यदि दबाव बनाने की नीति अपनाई जाएगी, तो उसके जवाब में भारत भी संतुलित रवैया अपनाएगा।
टैरिफ से बिगड़ सकता है व्यापार संतुलन
ट्रंप प्रशासन का यह टैरिफ निर्णय अमेरिका की घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के इरादे से लिया गया है, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार साझेदारों, खासकर भारत जैसे विकासशील देशों के साथ रिश्तों में दरार ला सकता है।भारत के लिए यह टैरिफ खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग, फार्मा और टेक्सटाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका द्वारा इस तरह की आर्थिक सख्ती से भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने विकल्प तलाशने की आवश्यकता महसूस हो सकती है।
भारत की ‘मल्टी-वे रणनीति’ पर भरोसा
भारत बीते कुछ वर्षों से अमेरिका पर निर्भरता कम करने और रूस, फ्रांस, इजरायल और स्वदेशी तकनीकों पर ज्यादा ध्यान देने की दिशा में काम कर रहा है। ऐसे में F-35 जैसे सौदों को लेकर भारत की अनिच्छा यह भी दिखाती है कि देश अब रणनीतिक रूप से ज्यादा आत्मनिर्भर बनने की कोशिश में है।

