India US tariff: ट्रंप के टैरिफ में छिपा बड़ा खेल..जानें भारत के सामने क्या हैं विकल्प?

Mona Jha
Trump Tariff Policy
Trump Tariff Policy

India US tariff: अमेरिका और भारत के व्यापारिक रिश्तों में बड़ा मोड़ आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। इस तरह अब कुल 50 प्रतिशत टैरिफ भारत पर लागू होगा। यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल और अन्य वस्तुओं की खरीदारी को लेकर ट्रंप की नाराजगी का परिणाम बताया जा रहा है।ट्रंप का यह फैसला एकतरफा है और इसके बाद भारत के सामने सवाल खड़ा हो गया है कि अब क्या किया जाए? क्या भारत झुक जाएगा या फिर कूटनीति और व्यापार दोनों मोर्चों पर सख्त रुख अपनाएगा?

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बातचीत के जरिए समाधान की कोशिश

भारत के पास अभी समय है। ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ 21 दिन बाद लागू होगा। ऐसे में भारत के पास अमेरिका से बातचीत कर हल निकालने का अवसर मौजूद है। यदि भारत कूटनीतिक स्तर पर पहल करता है, तो यह विवाद शांतिपूर्ण ढंग से हल हो सकता है। अमेरिका को यह बताया जा सकता है कि वैश्विक व्यापार में स्थिरता दोनों देशों के लिए फायदेमंद है।

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विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चुनौती

भारत इस मुद्दे को WTO (विश्व व्यापार संगठन) में भी उठा सकता है। भारत यह तर्क दे सकता है कि यह टैरिफ भेदभावपूर्ण है और WTO के नियमों का उल्लंघन करता है। ट्रंप की यह कार्रवाई गैर-न्यायसंगत व्यापारिक प्रतिबंधों की श्रेणी में आती है। WTO के मंच से भारत को वैश्विक समर्थन भी मिल सकता है।

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G20 और BRICS का समर्थन

भारत के पास G20 और BRICS जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों का सहारा लेने का विकल्प है। इन मंचों पर अमेरिका के इस कदम की आलोचना कर भारत अन्य देशों का समर्थन हासिल कर सकता है। यह रणनीति अमेरिका पर दबाव बनाने में मददगार हो सकती है।

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जवाबी कार्रवाई

यदि कूटनीतिक प्रयास असफल होते हैं, तो भारत के पास जवाबी टैरिफ लगाने का विकल्प है। भारत अमेरिका से आयात होने वाले कृषि उत्पादों, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है। इससे अमेरिकी निर्यातकों पर दबाव बनेगा और ट्रंप प्रशासन को पुनर्विचार के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

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छोटे उद्योगों पर बड़ा असर, निर्यात घटने की आशंका

विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ से भारतीय निर्यात में 40-50% की गिरावट आ सकती है। खासतौर पर कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा, केमिकल और झींगा जैसे सेक्टर पर बड़ा असर होगा। सबसे ज्यादा नुकसान छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) को होगा, जिनकी प्रतिस्पर्धा की क्षमता सीमित है।

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