India-US Trade Deal: भारत समेत 70 देशों को टैरिफ से मिली राहत, ट्रंप ने टाला फैसला.. इस दिन से लागू होगा नया टैरिफ

Mona Jha
trump tariff news
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India-US Trade Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित किया गया भारी टैरिफ अब एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है, जिससे भारत समेत 70 से अधिक देशों को अस्थायी राहत मिल गई है। ट्रंप प्रशासन की ओर से पहले 1 अगस्त 2025 से यह टैरिफ लागू होने वाला था, लेकिन अब इसे 7 अगस्त तक स्थगित कर दिया गया है।इस निर्णय से व्यापारिक और कूटनीतिक स्तर पर काफी सरगर्मी देखी जा रही है। अमेरिका का कहना है कि यह टैरिफ उसकी आर्थिक मजबूती और व्यापार संतुलन को सुधारने के लिए जरूरी है।

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ट्रंप ने लगाए थे विभिन्न देशों पर अलग-अलग टैरिफ

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ के अनुसार भारत पर 25%, पाकिस्तान पर 19%, बांग्लादेश पर 20% और अफगानिस्तान पर 15% शुल्क लगाया गया था। इन टैरिफ्स का उद्देश्य उन देशों से होने वाले आयात पर अंकुश लगाना और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना बताया गया।हालांकि, व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय एक रणनीतिक कदम है, जिससे अमेरिका अन्य देशों, विशेष रूप से भारत, पर दबाव बना सके ताकि वे अमेरिका के साथ अपनी व्यापार नीतियों में नरमी दिखाएं।

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भारत पर अमेरिका बना रहा दबाव

अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाने का एक मुख्य उद्देश्य भारत पर दबाव बनाना है। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।पूर्व अमेरिकी राजनयिक निशा बिस्वाल ने भी माना है कि यह फैसला पूरी तरह से रणनीतिक है। उनका कहना है कि अमेरिका इस माध्यम से भारत को बातचीत की मेज पर लाकर, उसे अपनी शर्तों पर राजी करवाना चाहता है।

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कहां अटकी है भारत-अमेरिका व्यापार डील?

अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिका के लिए खोल दे, लेकिन भारत इस पर सहमत नहीं है। भारत का कहना है कि ये सेक्टर देश की खाद्य सुरक्षा और सांस्कृतिक आस्थाओं से जुड़े हैं।विशेष रूप से अमेरिका में मिलने वाले डेयरी उत्पादों में ऐसे जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होता है, जो भारतीय धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। भारत इसी कारण अमेरिका के नॉन-वेज मिल्क प्रोडक्ट्स के आयात पर रोक लगाना चाहता है।भारत की मांग है कि अमेरिका के साथ कोई भी व्यापार समझौता संतुलित हो, जिससे भारतीय जनता को भी वास्तविक लाभ मिले, न कि केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों को।

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