India US Trade War: टैरिफ विवाद के बीच डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा फैसला, भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

Chandan Das

India US Trade War: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को एक बड़ा झटका लगा है।  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक टैरिफ से जुड़ा विवाद सुलझ नहीं जाता तब तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगा। उन्होंने कहा “भारत के साथ व्यापार वार्ता का कोई औचित्य नहीं जब तक वे टैरिफ पर सहमत नहीं होते।” गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच फरवरी 2025 से द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) को लेकर बातचीच चल रही है। जिसका उद्देश्य 2030 तक आपसी व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है। हालांकि कृषि, डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क और भारत-रूस व्यापार संबंध जैसे कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच मतभेद बने हुए हैं।

भारत पर 50% टैरिफ

अमेरिका ने हाल ही में भारत पर दो चरणों में भारी टैरिफ लगाए हैं। 30 जुलाई को ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो 1 अगस्त से लागू हो चुका है। इसके बाद 6 अगस्त को ट्रंप ने एक और 25% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की, जो 17 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा। इस प्रकार भारत को अब अमेरिकी बाजार में 50% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

टैरिफ के पीछे ये प्रमुख कारण

इस टैरिफ के पीछे प्रमुख कारण भारत द्वारा रूस से तेल, हथियार और सैन्य उपकरणों की खरीद को माना जा रहा है। अमेरिका का आरोप है कि रूस से व्यापार कर भारत यूक्रेन युद्ध में रूस की अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहा है। इसके अलावा, अमेरिका को भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए उच्च टैरिफ से भी आपत्ति है।

भारत सरकार का बयान

भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और रणनीतिक रूप से गलत” करार दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस से तेल खरीदना भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है और यह किसी भी तरह से किसी देश के खिलाफ कदम नहीं है। साथ ही भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने और डिजिटल टैक्स लगाने के विकल्पों पर विचार कर सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर दी तीखी प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “भारत किसी भी प्रकार के आर्थिक दबाव के आगे नहीं झुकेगा। किसानों, मछुआरों और डेयरी उद्योग के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा, चाहे इसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।”अब देखना यह होगा कि इस टैरिफ युद्ध के बीच दोनों देश किस तरह से आगे बढ़ते हैं। व्यापारिक हितों और रणनीतिक साझेदारी को बचाने के लिए आगे की राह आसान नहीं दिख रही।

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