Indian Railway: देशभर में भारतीय रेलवे के लोको पायलटों ने मंगलवार से 48 घंटे की भूख हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) की केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर की जा रही है। लोको पायलटों का कहना है कि यह कदम मजबूरी में उठाया गया है, क्योंकि उनकी कई अहम मांगें लंबे समय से लंबित हैं।
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भूख हड़ताल का क्षेत्रीय असर
धनबाद मंडल के सभी लोको पायलट बिना भोजन किए ड्यूटी कर रहे हैं। कोडरमा में भी AILRSA की टीम ने आंदोलन का समर्थन किया। कोडरमा के लोको पायलट सुबह 10 बजे से अगले 48 घंटे तक उपवास में रहते हुए ट्रेन का संचालन कर रहे हैं। आंदोलन के दौरान ट्रेन संचालन प्रभावित नहीं होगा और यह शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा है।
इस आंदोलन में कोडरमा के प्रमुख कर्मचारियों सहित कई लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर भी शामिल हैं। इसमें शाखा सचिव कपिंद्र कुमार, राकेश सिद्धराज, उत्तम कुमार, सुमन कुमार, आशुतोष रंजन, विकास कुमार, पंकज कुमार, अभिषेक कुमार, रंजीत कुमार, बलदेव प्रसाद, शैलेश कुमार, सुकदेव यादव और विजय कुमार शामिल हैं।
प्रमुख मांगें और कारण

लोको पायलटों की प्रमुख मांगों में सबसे पहले रनिंग भत्तों में वृद्धि का मुद्दा शामिल है, क्योंकि हाल ही में 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता (DA) बढ़ाया गया है, लेकिन इसके बावजूद रनिंग भत्ते में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा, किलोमीटर भत्ते पर 70 प्रतिशत आयकर-मुक्त नियम लागू नहीं किया गया है। कर्मचारियों ने यह भी शिकायत की है कि 46 घंटे की आवधिक विश्राम की अनदेखी की जा रही है, जबकि समिति ने लगातार दो रात ड्यूटी न करने की सिफारिशें दी थीं, उनका पालन नहीं किया गया। साथ ही, ट्रेन संचालन से जुड़े सेक्शन में अनिवार्य रोड लर्निंग और 36 घंटे में मुख्यालय वापसी के नियमों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों की कई लंबित मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं।
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आंदोलन की प्रकृति और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
लोको पायलटों ने स्पष्ट किया है कि हड़ताल पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इसका ट्रेन परिचालन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने अपनी ड्यूटी जारी रखते हुए, अपनी मांगों के समर्थन में उपवास रखा है। इससे यह संदेश भी जाता है कि कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए गंभीर हैं, लेकिन देश की रेलवे सेवाओं को बाधित नहीं करना चाहते।
इस आंदोलन के माध्यम से लोको पायलट प्रशासन और सरकार से अपने लंबित मुद्दों का समाधान चाहते हैं। उनका कहना है कि लंबे समय से उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है और अब उन्हें मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा।
