Indians Leaving Citizenship: भारत से नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्ष 2024 में 2,06,378 भारतीयों ने देश की नागरिकता छोड़कर किसी अन्य देश की नागरिकता हासिल की। यह आंकड़ा 2020 की तुलना में लगभग ढाई गुना अधिक है। यह जानकारी विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दी।
के.सी. वेणुगोपाल ने उठाया सवाल
कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल के सवाल पर मंत्री ने बताया कि नागरिकता छोड़ने के पीछे के कारण व्यक्तिगत होते हैं और हर व्यक्ति इसे अपने हालात के मुताबिक तय करता है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ाव को मजबूत करने और उनके ज्ञान व नेटवर्क का लाभ उठाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। सरकार का मानना है कि सफल प्रवासी भारतीय देश की ‘सॉफ्ट पावर’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती देते हैं।
पिछले पांच सालों में लगातार बढ़ोतरी
लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है:
2020: 85,256
2021: 1,63,370
2022: 2,25,620
2023: 2,16,219
2024: 2,06,378
2022 में यह संख्या अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, जबकि 2024 में 2023 की तुलना में मामूली गिरावट देखने को मिली, लेकिन आंकड़ा अब भी दो लाख से ऊपर बना हुआ है।
पहले भी उच्च रहा है यह आंकड़ा
2011 से 2014 के बीच भी नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या औसतन एक लाख से ऊपर रही थी। 2011 में यह आंकड़ा 1,22,819 था, जबकि 2014 में 1,29,328 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी थी। हालांकि, 2015 से लेकर 2019 तक इन आंकड़ों में थोड़ी गिरावट आई थी, लेकिन 2020 के बाद इसमें फिर से तेजी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीयों द्वारा विदेशों की नागरिकता अपनाने के पीछे मुख्य रूप से बेहतर जीवनशैली, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, नौकरी के अवसर और स्थायित्व की चाह जैसी वजहें होती हैं।
देश छोड़ रहे हैं प्रतिभावान और शिक्षित नागरिक
हालांकि यह आंकड़े सरकार के लिए एक संकेत भी हैं कि प्रतिभावान और शिक्षित नागरिक देश छोड़ रहे हैं। वहीं, सरकार के मुताबिक, प्रवासी भारतीयों के साथ मजबूत रिश्ते बनाना और उनके अनुभव का देश हित में उपयोग करना उसकी प्राथमिकता है। नागरिकता छोड़ने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक संकेत है। यह न सिर्फ देश की वैश्विक स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि किस प्रकार भारत के नागरिक बेहतर अवसरों की तलाश में दुनिया भर में कदम रख रहे हैं।
