Indira Ekadashi 2025: 17 या 18 सितंबर कब है इंदिरा एकादशी? जानें सही तारीख और मुहूर्त

Nivedita Kasaudhan
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Indira Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष माना गया है और साल में कुल 24 एकादशी आती हैं। लेकिन इनमें से श्राद्ध पक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी का धार्मिक और पितृ तर्पण के दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है। यह एकादशी पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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इंदिरा एकादशी की तारीख

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पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 सितंबर 2025 (मंगलवार) रात 12:22 बजे से शुरू होकर 17 सितंबर 2025 (बुधवार) रात 11:39 बजे तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 17 सितंबर को हो रहा है, इसलिए इसी दिन व्रत रखा जाएगा और पूजा की जाएगी।

शुभ योग और मुहूर्त

इस साल इंदिरा एकादशी पर ग्रह-नक्षत्रों के विशेष संयोग से 4 शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन
गद योग, मातंग योग, शिव योग और परिघ योग। इन योगों से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।

पूजा के शुभ मुहूर्त

सुबह 06:17 बजे से 07:48 बजे तक

सुबह 07:48 बजे से 09:19 बजे तक

सुबह 10:50 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक

दोपहर 03:23 बजे से शाम 04:53 बजे तक

शाम 04:53 बजे से 06:24 बजे तक

इंदिरा एकादशी की पूजा विधि

व्रत से एक दिन पहले (16 सितंबर) की तैयारी

इस दिन सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

व्रत नियमों का पालन करना आरंभ करें।

व्रत के दिन (17 सितंबर) की विधि

सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।

हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।

पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें।

भगवान विष्णु की पूजा विधि

लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

भगवान को तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं, दीपक जलाएं।

मौली, चावल, अबीर, गुलाल, फल और मिष्ठान भगवान को अर्पित करें।

अपनी श्रद्धा अनुसार भोग लगाएं।

कथा और आरती

इंदिरा एकादशी की व्रत कथा सुनें और दूसरों को भी सुनाएं।

रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए व्रत का पालन करें।

व्रत पारण

अगले दिन प्रातः व्रत का पारण करें और भोजन करें।

व्रत का लाभ

इंदिरा एकादशी व्रत करने से पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति आती है।

यह व्रत पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

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