Indus Water Treaty: ‘बकवास बंद करो, हमारे पास है ब्रह्मोस’ सिंधु जल विवाद पर ओवैसी का करारा पलटवार

Aanchal Singh
Indus Water Treaty
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Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि स्थगित होने के बाद पाकिस्तान लगातार पानी के लिए भारत से शिकायत कर रहा है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत पाकिस्तान से एक बूंद पानी भी नहीं छीन सकता. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत ने ऐसी कोई कार्रवाई की, तो इसका “भारी सबक” मिलेगा।

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ओवैसी ने दी करारी प्रतिक्रिया

इस बयान के बाद हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत के पास ब्रह्मोस जैसी अत्याधुनिक क्षमताएँ हैं और पाकिस्तान को इस तरह की बकवास नहीं करनी चाहिए। ओवैसी ने कहा, “अब बहुत हो गया। भारत पर धमकियों का कोई असर नहीं होगा।”

क्रिकेट मैच पर ओवैसी ने जताया विरोध

ओवैसी ने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच के संबंध में भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा, “मैं क्रिकेट मैच देखने नहीं जा रहा हूं। मेरी अंतरात्मा और मेरा दिल इसकी इजाजत नहीं देता। हमें उस देश के लोगों के साथ क्रिकेट क्यों खेलना है जो हमें हर दिन धमकी दे रहे हैं?”

भारत ने उठाए थे दंडात्मक कदम

पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाए थे। इसमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना शामिल था। पाकिस्तान ने बार-बार चेतावनी दी है कि किसी भी तरह के पानी पर नियंत्रण को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।

पाक पीएम ने दी कड़ा बयान

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, “मैं आज दुश्मन को बताना चाहता हूं कि अगर आप हमारा पानी रोकने की धमकी देते हैं तो यह याद रखें कि आप पाकिस्तान के पानी की एक बूंद भी नहीं छीन सकते। अगर भारत ने ऐसा किया, तो उसे भारी पछतावा होगा।”

ओवैसी ने अमेरिकी टैरिफ पर भी दी प्रतिक्रिया

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह तय करना होगा कि वे उस देश के साथ व्यापार करेंगे, जहां आतंकवाद को व्यापार माना जाता है, या भारत के साथ जो उनका रणनीतिक सहयोगी रहा है।

ओवैसी ने विदेश मंत्रालय की नीतियों पर सवाल उठाए

ओवैसी ने कहा कि ट्रंप या किसी अन्य विदेशी नेता को भारत को तेल न खरीदने की सलाह देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से एक स्पष्ट राजनीतिक बयान आना चाहिए था, लेकिन विदेश मंत्रालय की ओर से केवल एक औपचारिक बयान आया।”

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