Indus Waters Treaty: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने सिर्फ 28 जिंदगियां नहीं ली, बल्कि भारत की सहनशीलता की सीमा भी पार कर दी। इस हमले ने देश को झकझोर दिया और भारतीय सरकार को एक बड़ा कदम उठाने पर मजबूर किया। बुधवार को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कूटनीतिक कदम उठाते हुए 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया। अब सवाल उठता है कि इसका पाकिस्तान पर क्या असर होगा? क्या वहां पानी की एक-एक बूंद के लिए हाहाकार मच सकता है? आइए इस पर विस्तार से समझते हैं…
सिंधु जल संधि का इतिहास
आपको बता दे कि, यह संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस पर कराची में हस्ताक्षर किए थे। संधि के तहत दोनों देशों के बीच छह प्रमुख नदियों के जल बंटवारे का निर्णय लिया गया था। इसमें 12 अनुच्छेद और 8 परिशिष्ट (A-H) थे। इस समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों—रावी, व्यास और सतलज का पूरा इस्तेमाल करने का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियां—सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण दिया गया। भारत को 30% पानी का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को 70% पानी का अधिकार दिया गया।
कितमा पानी किसको मिलता है ?
समझौते के अनुसार भारत को सालाना 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी की हिस्सेदारी मिली, जो लगभग 41 अरब क्यूबिक मीटर (bcm) के बराबर है। वहीं, पाकिस्तान को सालाना 135 MAF यानी 99 bcm पानी मिला। इसका मतलब है कि भारत को कुल पानी का केवल 20% हिस्सा मिला, जबकि पाकिस्तान को 80% पानी मिला। पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि इसी पानी पर निर्भर है, जिसका 93% हिस्सा खेती में इस्तेमाल होता है। पाकिस्तान के बड़े शहरों—कराची, लाहौर, मुल्तान—को भी पीने और घरेलू इस्तेमाल का पानी इन्हीं नदियों से मिलता है। यह संधि पाकिस्तान के लिए आर्थिक और कृषि दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रही है।
पाकिस्तान की कितनी आबादी पानी पर निर्भर ?
बताते चले कि, पाकिस्तान की लगभग 61% आबादी यानी 23.70 करोड़ लोग इन नदियों से मिलने वाले पानी पर निर्भर हैं। कराची, लाहौर, मुल्तान जैसे प्रमुख शहरों की पीने के पानी की जरूरत भी इन्हीं नदियों से पूरी होती है। इसके अलावा, पाकिस्तान के बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट जैसे तर्बेला और मंगला भी इन नदियों के पानी पर निर्भर हैं। पाकिस्तान की 25% जीडीपी इसी कृषि पर आधारित है, जो पानी से चलती है। इस पानी के बिना, पाकिस्तान के लिए खाद्य सुरक्षा और कृषि दोनों के लिए संकट खड़ा हो सकता है।
भारत का कड़ा कदम: सिंधु जल संधि पर रोक
अब, जब भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है, तो भारत को पश्चिमी नदियों पर नियंत्रण का अधिकार मिल गया है। यह निर्णय पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा संकट बन सकता है, क्योंकि सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों का पानी पाकिस्तान की कृषि, जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन के लिए जीवन रेखा है। भारत अब इन नदियों पर बांध, डायवर्जन प्रोजेक्ट और स्टोरेज सिस्टम बनाकर पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को नियंत्रित कर सकता है। हालांकि, पानी का बहाव रुक नहीं सकता, लेकिन उसकी मात्रा में कमी आ सकती है, जिससे पाकिस्तान को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
बड़े शहरों में पानी की किल्लत हो सकती
पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु नदी प्रणाली से मिलने वाले पानी पर निर्भर है। यदि इस पानी की आपूर्ति कम हो जाती है, तो पाकिस्तान की कृषि बर्बाद हो सकती है, जिससे खाद्य संकट पैदा हो सकता है। इसके अलावा, पाकिस्तान के बड़े शहरों में पानी की किल्लत हो सकती है, और सामाजिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है। बिजली उत्पादन में भी कमी हो सकती है, क्योंकि तर्बेला और मंगला जैसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट इन नदियों के पानी पर निर्भर हैं। इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान में बेरोजगारी, कर्ज चुकाने में कठिनाई और गांवों से पलायन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
भारत के पांच बड़े फैसले: पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया गया
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने कई कड़े कूटनीतिक कदम उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में ये महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमें पहला फैसला था सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया। इसके बाद, भारत ने अटारी बॉर्डर का चेक पोस्ट बंद कर दिया, पाकिस्तान के नागरिकों के SAARC वीजा रद्द कर दिए और उन्हें 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया। पाकिस्तान के डिफेंस अटैचेस को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया गया। इसके अलावा, दोनों देशों के उच्चायोगों की स्टाफ संख्या घटाकर 30 कर दी गई, जो पहले 55 थी। यह बदलाव 1 मई 2025 तक लागू किया जाएगा।
क्या है Defence attache और क्यों हुई इतनी बड़ी कार्रवाई?
Defence attaché वह अधिकारी होते हैं जो किसी देश के रक्षा मामलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने अपने-अपने रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को वापस बुला लिया है। इससे दोनों देशों के बीच सैन्य संवाद का रास्ता बंद हो गया है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब कोई भी हमला चुपचाप सहन नहीं किया जाएगा और कूटनीति अब जवाबी कार्रवाई में बदल गई है।
भारत ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाकर न केवल पाकिस्तान के जल स्रोतों पर नियंत्रण कर लिया है, बल्कि पाकिस्तान की नींव को हिलाने वाला कदम भी उठाया है। पाकिस्तान को इस पानी के बिना कृषि, जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह निर्णय भारत के कूटनीतिक दबाव को बढ़ाएगा और पाकिस्तान की स्थिति को और कठिन बना सकता है।