Influencers in 2050: आज के समय में सोशल मीडिया ने इंफ्लुएंसर्स को एक अलग पहचान दी है। लाखों फॉलोवर्स, ग्लैमरस लाइफस्टाइल और नाम-शोहरत ने इस पेशे को युवाओं के बीच सबसे फेसम बना दिया गया है। लेकिन डिजिटल एक्यपर्टस के अनुसार लगातार डिजिटल लाइफ जीने का असर आने वाले समय में बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। एक रिसर्च के मुताबित अगले 25 सालों में यानी 2025 तक कंटेंट क्रिएटर्स की शारीरिक बनावट और चेहरे पर गहरे बदलाव दिखाई देंगे।
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जानें क्या होती है टेक-नेक?
कंटेंट क्रिएटर्स का ज्यादातर समय मोबाइल, लैपटॉप और कैमरे के सामने बीतता है। घंटों स्क्रीन देखने और पोज़ देने से उनकी गर्दन धीरे-धीरे झुक जाती है। इस समस्या को मेडिकल भाषा में “टेक-नेक” कहा जाता है। लंबे समय तक यह स्थिति रीढ़ की हड्डी और गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव डालती है, जिससे लगातार दर्द और गलत बॉडी पोस्टचर की समस्या हो सकती है।
त्वचा संबंधी दिक्कतें…

बताते चलें कि, रिसर्च में ये खुलासा हुआ है कि लगातार मेकअप करने के कारण नए-नए स्किनकेयर प्रोडक्ट्स आज़माना और तेज़ LED लाइट्स में काम करना त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है।
रिसर्च बताती है कि लगातार मेकअप करना, नए-नए स्किनकेयर प्रोडक्ट्स आज़माना और तेज़ LED लाइट्स में काम करना त्वचा के लिए हानिकारक है। इसे “डिजिटल एजिंग” कहा जाता है। इसके कारण झाइयां, पिगमेंटेशन, फाइन लाइन्स, त्वचा की सूजन और समय से पहले बूढ़े दिखने की संभावना बढ़ जाती है।
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आंखों पर स्क्रीन का बोझ
लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों में तनाव बढ़ जाता है। इस समस्या को “डिजिटल आई स्ट्रेन” कहा जाता है। इसके लक्षण हैं—आंखों में जलन, सूखापन, धुंधलापन, लालपन और गहरे डार्क सर्कल्स। एक्सपर्ट्स इसके लिए 20-20-20 रूल अपनाने की सलाह देते हैं—हर 20 मिनट में 20 सेकंड तक 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें।
नींद की कमी और मानसिक तनाव
इंफ्लुएंसर्स को लगातार नोटिफिकेशन और कंटेंट की चिंता सताती रहती है। ब्लू लाइट में लंबे समय तक रहने से नींद पूरी नहीं हो पाती। इसे रिसर्च में “इंफ्लुएंसर-सोम्निया” कहा गया है। लंबे समय तक नींद की कमी मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को जन्म दे सकती है।
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कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट और हेयर प्रॉब्लम

खूबसूरत दिखने के दबाव में कई इंफ्लुएंसर्स बार-बार कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट कराते हैं। इसका असर चेहरे की नैचुरल सुंदरता पर पड़ता है, जिससे पफी चीक्स, असमान टेक्सचर और अस्वाभाविक लुक हो जाता है। वहीं, लगातार हेयर एक्सटेंशन और स्टाइलिंग करने से “ट्रैक्शन एलोपेसिया” यानी बाल झड़ने की समस्या पैदा होती है, जो आगे चलकर स्थायी गंजेपन का कारण बन सकती है।
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चमकदार लाइफस्टाइल का काला सच
आज भले ही इंफ्लुएंसर्स की ज़िंदगी बेहद आकर्षक और ग्लैमरस लगती है, लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है। लगातार डिजिटल लाइफस्टाइल, स्क्रीन का बोझ और खूबसूरत दिखने का दबाव उनके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को धीरे-धीरे खोखला कर रहा है। अगर समय रहते सावधानियां नहीं बरती गईं तो 2050 तक उनका लुक और हेल्थ रिसर्च में बताए गए मॉडल जैसी ही हो सकती है।
