INR Crash: भारतीय रुपये ने गुरुवार के शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले फिर कमजोरी दिखाई। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.66 प्रति डॉलर पर खुला, लेकिन जल्द ही 7 पैसे फिसलकर 88.69 पर पहुंच गया। यह लगातार तीसरा दिन है जब रुपये में गिरावट दर्ज की गई है। इस साल के दौरान भारतीय मुद्रा कई बार रिकॉर्ड निचले स्तर को छू चुकी है, जिससे आयात लागत और महंगाई पर असर पड़ने की संभावना बढ़ गई है।
INR Crash: क्यों गिर रहा है भारतीय रुपया?
विश्लेषकों का कहना है कि रुपये की कमजोरी के पीछे मुख्य कारण घरेलू शेयर बाजारों की नरमी और अमेरिकी डॉलर की मजबूती है। डॉलर इंडेक्स में तेजी आने से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़े सकारात्मक आंकड़े और फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति ने डॉलर को सपोर्ट दिया है। इसके अलावा, विदेशी पूंजी की निकासी और एफआईआई की लगातार बिकवाली ने रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
INR Crash: यूएस-इंडिया ट्रेड डील से आंशिक राहत
बाजार में कुछ हद तक स्थिरता यूएस-इंडिया ट्रेड डील को लेकर जारी बातचीत के कारण बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर इस डील पर सकारात्मक प्रगति होती है, तो रुपये को निचले स्तर पर कुछ सपोर्ट मिल सकता है। निर्यात को बढ़ावा देने वाली नीतियां भी भविष्य में रुपये की स्थिति को स्थिर कर सकती हैं।रुपये की गिरावट के साथ-साथ घरेलू इक्विटी बाजारों में भी कमजोरी देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 205 अंक टूटकर 84,261 पर आ गया, जबकि एनएसई निफ्टी-50 61 अंकों की गिरावट के साथ 25,814 पर कारोबार कर रहा था। विदेशी निवेशकों (FII) ने बुधवार को 1,750 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे बाजार भावना और कमजोर हुई।
ब्रेंट क्रूड और डॉलर इंडेक्स का असर
ब्रेंट क्रूड की कीमतों में मामूली गिरावट दर्ज की गई और यह 62.63 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में यह गिरावट आयातकों के लिए राहत की बात है, लेकिन डॉलर इंडेक्स का मजबूत रहना रुपये पर दबाव बनाए रखे हुए है। डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, 0.02% बढ़कर 99.51 पर पहुंच गया।
आगे की दिशा: किन कारकों पर निर्भर करेगा रुपया
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये की दिशा अब तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगी -अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड्स की चाल,कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें,विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का निवेश रुझान,अगर डॉलर मजबूत बना रहता है और एफआईआई की बिकवाली जारी रहती है, तो रुपये पर और दबाव आने की संभावना है। हालांकि, निर्यात में सुधार और ट्रेड डील से जुड़ी सकारात्मक खबरें आने पर भारतीय मुद्रा को राहत मिल सकती है।वित्तीय विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस समय निवेशकों को सावधानी से कदम बढ़ाने की जरूरत है। रुपये की गिरावट का असर विदेशी मुद्रा, आयात-निर्यात और घरेलू महंगाई पर पड़ सकता है। इसलिए, अल्पकालिक अस्थिरता को देखते हुए निवेश निर्णय सोच-समझकर लेने चाहिए।
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