SC on CBI Probe: कभी-कभी जांचकर्ताओं की भी जांच होनी चाहिए। भ्रष्टाचार के आरोपी दो सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने पर सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर जांचकर्ताओं की भी जांच की जाती है तो पूरी व्यवस्था में जनता का विश्वास बना रहेगा।
25 साल पहले लगा था आरोप
आपको बता दें कि ये घटना 2000 की है। 25 साल पहले दो व्यापारियों ने दो सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी। विजय अग्रवाल और शीशराम अग्रवाल नाम के दो व्यापारियों ने तत्कालीन सीबीआई संयुक्त निदेशक नीरज कुमार और इंस्पेक्टर विनोद कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। दोनों सीबीआई अधिकारियों पर अपने पद का दुरुपयोग करने डराने-धमकाने और दस्तावेजों की अवैध जब्ती का आरोप लगाया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने भी उस आदेश को बरकरार रखा।
नियमों का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पीबी भाराल की पीठ ने कहा “समय आ गया है। कभी-कभी जाँचकर्ताओं की भी जाँच होनी चाहिए। तभी पूरी व्यवस्था में जनता का विश्वास बना रहेगा।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणी स्पष्ट है कि ऐसी घटनाएँ सीबीआई की प्रक्रिया के नियमों के विरुद्ध हैं। अब नियमों का उल्लंघन जानबूझकर किया गया है या पूरी तरह से गलत यह जाँच का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना की जाँच दिल्ली पुलिस के सहायक आयुक्त या उससे उच्च पद के अधिकारी से करवाई जानी चाहिए।
एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में काफी प्रासंगिक है। हाल ही में केंद्र सरकार पर ईडी-सीबीआई जैसी जाँच एजेंसियों के दुरुपयोग के लगातार आरोप लगे हैं। कई मामलों में जाँच अधिकारी अनिच्छा के बावजूद कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। अगर इस बार जाँचकर्ता भी जाँच के दायरे में आते हैं तो जानकार सूत्रों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह प्रवृत्ति कम हो सकती है।
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