Iqbal Ansari :अयोध्या में श्री राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक पल में 191 फीट ऊंचे धर्म ध्वज को फहराया। यह ध्वजारोहण एक विशेष वैदिक अनुष्ठान और मंत्रोच्चार के बीच हुआ, जब प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर ध्वज को शिखर तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐतिहासिक कदम पर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे शुभ अवसर बताया। उन्होंने कहा, “अयोध्या देवताओं की नगरी है और भगवान राम का मंदिर बनना, फिर पीएम मोदी द्वारा ध्वज फहराना, यह बहुत ही शुभ था। वहां हर धर्म और जाति के लोग बुलाए गए थे, और मैं भी वहां मौजूद था।”
Iqbal Ansari :अयोध्या में ध्वजारोहण के लिए खास तैयारियां
धर्म ध्वजा की स्थापना को लेकर अयोध्या में पिछले कुछ दिनों से तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। पूरा शहर सजा हुआ था और सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई थी। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार सुबह लगभग 10 बजे अयोध्या पहुंचे, जहां उन्होंने पहले रोड शो किया और फिर सप्तमंदिर पहुंचे। इसके बाद, उन्होंने श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की पूजा अर्चना की और फिर अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण का यह ऐतिहासिक कार्य किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जो लोग मंदिर में नहीं आ सकते, लेकिन दूर से ही मंदिर के ध्वज को प्रणाम करते हैं, उन्हें भी वही पुण्य प्राप्त होता है। यह ध्वज दूर से ही रामलला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा और आने वाले युगों तक मानवता को भगवान श्री राम की प्रेरणाओं का संदेश देगा।”
Iqbal Ansari :ध्वज का निर्माण और उसकी विशेषताएं
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्री राम मंदिर का शिखर 161 फीट ऊंचा है, और उस पर 30 फीट ऊंचा ध्वज दंड लगाया गया है, जिस पर केसरिया रंग का ध्वज फहराया जा रहा है। इस ध्वज पर सूर्य का चिह्न, सूर्य के मध्य में ‘ॐ’ और साथ ही कोविदार वृक्ष का अंकन किया गया है। इस ध्वजा में अयोध्या का इतिहास, सूर्यवंश की परंपरा और रामायण की गहराई छिपी हुई है। यह ध्वज गुजरात के अहमदाबाद जिले के कश्यप मेवाड़ और उनकी 6 सदस्यीय टीम द्वारा बनाया गया है।
ध्वजारोहण को लेकर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि इस ध्वज का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि यह अयोध्या के इतिहास और भारतीय संस्कृति को भी प्रकट करता है। उनका कहना था कि यह ध्वज न केवल रामलला की जन्मभूमि के प्रतीक के रूप में कार्य करेगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को भगवान श्री राम की शिक्षा और प्रेरणा का अहसास कराएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक “युगांतकारी” घटना करार दिया और कहा कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया और इतिहास
राम मंदिर का निर्माण एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है। बाबरी मस्जिद को 1992 में ध्वस्त करने के बाद यह विवाद एक संवेदनशील मुद्दा बन गया था। भारतीय जनता पार्टी और हिंदू संगठनों ने राम मंदिर के निर्माण की मांग उठाई, और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर की नींव रखी थी और इसके बाद 22 जनवरी 2022 को मंदिर का उद्घाटन किया गया था। अब, इस शिखर पर केसरिया ध्वज फहराए जाने के साथ ही मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।
ध्वजारोहण के बाद अयोध्या में उत्सव का माहौल
धर्म ध्वजा के फहराए जाने के बाद अयोध्या में एक उत्सव का माहौल था। शहर में हर ओर खुशियां मनाई जा रही थीं, और भक्तों ने प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐतिहासिक कदम का स्वागत किया। राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराना न केवल रामभक्तों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक अवसर है। यह घटना अयोध्या के गौरव को पुनः स्थापित करने और भगवान श्री राम के प्रति आस्था और श्रद्धा को दर्शाती है।
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