UNSC Iran Sanctions: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने एक बार फिर ईरान को बड़ा झटका दिया है। रूस और चीन द्वारा पेश किए गए छह महीने के मोहलत वाले प्रस्ताव को UNSC ने खारिज कर दिया है। इस वजह से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगभग एक दशक से लगे प्रतिबंध लागू रहेंगे। रूस और चीन की यह कूटनीतिक कोशिशें नाकाम साबित हुईं, क्योंकि प्रस्ताव के पक्ष में केवल 4 और विरोध में 9 वोट पड़े।
प्रतिबंधों की वापसी पर सख्ती
फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने एक महीने पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध दोबारा लगाने के प्रयास किए थे, जो अब लागू हो गए हैं। नए प्रतिबंधों में हथियारों के निर्यात पर रोक, यूरेनियम संवर्धन पर पाबंदी, संपत्ति फ्रीज, यात्रा प्रतिबंध और प्रतिबंधित कार्गो की जब्ती शामिल हैं। ये कदम 2015 के परमाणु समझौते के उल्लंघन के आरोपों के बाद उठाए गए हैं।
ईरान की कड़ी प्रतिक्रिया
ईरान ने इस फैसले को कड़ा विरोध किया है। इसने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये प्रतिबंध उसकी संप्रभुता का उल्लंघन हैं और इसे आर्थिक तथा कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश है।
रूस और चीन का विरोध
हालांकि अमेरिका और इजरायल ने प्रतिबंधों का समर्थन किया है, रूस और चीन ने इसे पश्चिमी देशों द्वारा ईरान को ब्लैकमेल करने की नीति बताया है। रूस और चीन का मानना है कि कूटनीतिक बातचीत से ही समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए, न कि प्रतिबंधों के जरिये।
विशेषज्ञों की राय और मध्य पूर्व में तनाव
विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु कार्यक्रम पर लगे ये प्रतिबंध ईरान को आर्थिक तौर पर कमजोर करेंगे और उसकी कूटनीतिक सीमाएं और बढ़ेंगी। इससे मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव बढ़ने का खतरा है। ईरान कई देशों के खिलाफ कड़े कदम उठा सकता है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
पिछली घटनाएं और पृष्ठभूमि
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए जून 2025 में इजरायल ने मिसाइल और बमबारी कर कई परमाणु ठिकानों को तबाह किया था। इसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइलें दागी थीं, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ। इसके बाद अमेरिका ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जबकि ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर जवाब दिया था। कतर की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच युद्धविराम हुआ था, लेकिन अब स्थिति फिर तनावपूर्ण हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों का यह नया दौर न केवल ईरान की आर्थिक स्थिति पर असर डालेगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और मध्य पूर्व के राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित कर सकता है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कूटनीतिक हल और तनाव के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।
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