Diwali 2025: दीपावली, जिसे ‘प्रकाश का पर्व’ कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह केवल दीपों और सजावट का उत्सव नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। परंतु इस पवित्र पर्व से जुड़ी एक परम्परा, दीपावली की रात जुआ खेलना, आज भी कई घरों में देखी जाती है। सवाल यह उठता है कि आखिर यह परम्परा कब और कैसे शुरू हुई, और क्या वास्तव में इसे शुभ माना जाना चाहिए? तो हम आपको इसी परंपरा से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
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कैसे और कहां से शुरू हुई जुए की परंपरा?

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, दीपावली के अगले दिन यानी अन्नकूट या गोवर्धन पूजा के अवसर पर देवी पार्वती और भगवान शिव ने पासों का खेल खेला था। देवी पार्वती ने भगवान शिव को जुआ खेलने का निमंत्रण दिया और इस खेल में भगवान शिव हार गए। तभी से यह मान्यता बन गई कि जो भी दीपावली की रात जुआ खेलता है, उसके घर में वर्ष भर समृद्धि बनी रहती है। इसी कथा के आधार पर लोगों ने इसे शुभ मानकर अपनाया।
एक अन्य मान्यता महाभारत काल से जुड़ी है। कहते हैं कि पांडवों ने इसी दिन जुए में अपना सब कुछ दांव पर लगाकर खो दिया था, जिसके कारण उन्हें वनवास भोगना पड़ा। इस प्रसंग ने यह भी सिखाया कि जुए का परिणाम कितना विनाशकारी हो सकता है।
शुभ-अशुभ का द्वंद्व
दीपावली को धन और लक्ष्मी का पर्व माना जाता है। इस दिन धन की आवक और सौभाग्य से जुड़ी कई परम्पराएँ निभाई जाती हैं। कई लोग मानते हैं कि लक्ष्मीजी की कृपा पाने के लिए जुआ खेलना शुभ होता है, क्योंकि यह भाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। वहीं कुछ विद्वान और संत इसे अशुभ कर्म बताते हैं। उनका कहना है कि यह परम्परा भले ही प्रतीकात्मक रूप में आरंभ हुई हो, मगर समय के साथ इसका स्वरूप लालच में बदल गया।
धार्मिक और नैतिक दृष्टिकोण

धर्मग्रंथों में जुए को निषिद्ध बताया गया है। युधिष्ठिर और राजा नल जैसे धर्मनिष्ठ और महान चरित्र भी जुए की वजह से पतन को प्राप्त हुए। जब ऐसे महान व्यक्तित्व इसका नकारात्मक परिणाम झेल सकते हैं, तो साधारण मनुष्य कैसे बच सकता है? इसीलिए कहा गया है कि दीपावली के अवसर पर जुए को केवल प्रतीक के रूप में लेना चाहिए, न कि वास्तविक लोभ और धनलालसा के रूप में।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
