Netanyahu vs Mossad: इज़रायल और हमास के बीच चल रही तनातनी एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है। सूत्रों के अनुसार, इज़रायल ने हाल ही में कतर की राजधानी दोहा में रॉकेट हमले किए, जहां कथित तौर पर हमास के शीर्ष नेता मौजूद थे। इस कार्रवाई को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह हमला इज़रायली खुफिया एजेंसी मोसाद की मर्जी के खिलाफ किया गया?
मोसाद प्रमुख की चेतावनी की अनदेखी
जानकारी के मुताबिक, मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया ने इस हमले के खिलाफ स्पष्ट चेतावनी दी थी। उनका मानना था कि कतर पर हमला करने से मोसाद और कतर के बीच वर्षों से बने गुप्त संबंध टूट सकते हैं, जिससे भविष्य में क्षेत्रीय खुफिया संचालन और मध्यस्थता प्रयासों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
नेतन्याहू की जिद या रणनीति?
इसके बावजूद, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को मंजूरी दी, जिसे कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने नेतन्याहू की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ करार दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि गाजा में जारी युद्ध को समाप्त करने की नेतन्याहू की कोई मंशा नहीं है। उनके अनुसार, “नेतन्याहू अब धैर्य खो चुके हैं और उनका हर कदम अब प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है।”
इज़रायली सेना की सफाई
इज़रायल डिफेंस फोर्स (IDF) और इज़रायल सिक्योरिटी एजेंसी (ISA) ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि यह हमला हमास के उच्चस्तरीय नेताओं को निशाना बनाकर किया गया। बयान में कहा गया: “हमास के ये वरिष्ठ नेता 7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल में हुए नरसंहार के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। दोहा में इनकी मौजूदगी की पुष्टि होते ही हमला किया गया।”
दोहा में तबाही, लेकिन मौतों की पुष्टि नहीं
रविवार को हुए इस हमले में दोहा के कई इलाकों में गोलाबारी और विस्फोट की खबरें सामने आईं, लेकिन अभी तक किसी आधिकारिक हताहत आंकड़े की पुष्टि नहीं हुई है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है।
कतर का कड़ा विरोध
इज़रायल के इस हमले की कतर सरकार ने तीव्र आलोचना की है। कतर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा:
“इज़रायल ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है। यह हमला कायराना हरकत है और मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कूटनीतिक संकट
इस हमले से मध्य पूर्व में कूटनीतिक संतुलन खतरे में पड़ सकता है। कतर अब तक कई बार हमास और इज़रायल के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा चुका है। मोसाद और कतर के बीच बनी गोपनीय समझदारी इस क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए अहम मानी जाती थी, जो अब खतरे में है।
इज़रायल द्वारा कतर पर किया गया यह हमला न केवल मध्य पूर्व की कूटनीतिक राजनीति को झकझोरने वाला कदम है, बल्कि यह इज़रायल के आंतरिक सत्ता संघर्ष को भी उजागर करता है। मोसाद जैसी शक्तिशाली खुफिया एजेंसी की राय के खिलाफ जाकर प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने जो फैसला लिया, उससे यह स्पष्ट होता है कि वे अब किसी भी हद तक जाकर हमास को खत्म करने के लिए तैयार हैं — भले ही इसके लिए वैश्विक निंदा और रणनीतिक नुकसान क्यों न उठाना पड़े।
