Jagannath Mahaprasad: पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के महाप्रसाद की ऑनलाइन बिक्री पर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला लिया है। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने सोमवार को स्पष्ट किया कि सरकार और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। कानून मंत्री ने कहा कि हालांकि यह विचार तकनीकी रूप से आकर्षक हो सकता है, लेकिन धार्मिक और पारंपरिक शुद्धता बनाए रखना सर्वोपरि है। उन्होंने कहा “महाप्रसाद का पारंपरिक और धार्मिक महत्व तभी कायम रहेगा, जब यह मंदिर परिसर में ही श्रद्धालुओं को प्रदान किया जाए। ऑनलाइन माध्यम से इसकी पवित्रता और शुद्धता सुनिश्चित कर पाना मुश्किल होगा।”
बिना अनुमति बेचे जा रहे महाप्रसाद की जांच शुरू
यह बयान तब आया है जब हाल ही में कुछ संगठनों पर बिना अनुमति के महाप्रसाद की ऑनलाइन बिक्री का आरोप लगा था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हुआ कि कुछ प्लेटफॉर्म पर प्रसाद की डिलीवरी का दावा किया जा रहा है। इसके बाद प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है। महाप्रसाद केवल भोजन नहीं, बल्कि भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद माना जाता है। मंत्री ने कहा कि इसके साथ किसी भी तरह का व्यवसायिक व्यवहार या छेड़छाड़ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे मंदिर परिसर में आकर सीधे भगवान के दर्शन करें और प्रसाद प्राप्त करें।
भविष्य में कानूनी संशोधन की जरूरत
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में महाप्रसाद की ऑनलाइन बिक्री पर कोई विशेष कानूनी प्रतिबंध नहीं है, लेकिन यदि इस दिशा में कठोर नियंत्रण की आवश्यकता हुई, तो जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1955 में संशोधन किया जा सकता है। राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि वह न तो महाप्रसाद की ऑनलाइन बिक्री का समर्थन करती है और न ही किसी को इसकी अनुमति देगी। सरकार का जोर इस बात पर है कि श्रद्धालुओं को मंदिर में आकर परंपरा, श्रद्धा और शुद्धता के साथ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। ओडिशा सरकार का यह कदम धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे न केवल श्री जगन्नाथ मंदिर की परंपराएं सुरक्षित रहेंगी, बल्कि महाप्रसाद की धार्मिक शुद्धता और गरिमा भी बरकरार रहेगी।