Jagdeep Dhankhar News: मानसून सत्र के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद से देश में सियासी पारा हाई है. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया है, लेकिन विपक्ष सरकार पर उनके इस्तीफे को लेकर लगातार हमलावर है. विपक्षी नेताओं ने इसे किसी दबाव का नतीजा बताया और सरकार पर लगातार निशान साध रहे है.
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विपक्ष अब दिखा सहानुभूतिपूर्ण रवैये में
विपक्षी नेता अब धनखड़ के प्रति सहानुभूति जता रहे हैं और उन्हें “महान व्यक्ति” बता रहे हैं.आपको बता दे कि, ये वही विपक्षी नेता है जो कुछ महीनों पहले तक उन्हें “पक्षपातपूर्ण” बताकर आलोचना कर रहे थे. उस वक्त विपक्ष का कहना था कि धनखड़ सरकार को ज्यादा समय देते हैं और विपक्ष की आवाज दबाते हैं.
पहली बार किसी उपराष्ट्रपति पर कार्रवाई की कोशिश
बताते चले कि, 10 दिसंबर 2024 को विपक्ष ने जगदीप धनखड़ के खिलाफ राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपा था। इस प्रस्ताव पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, सपा, डीएमके और अन्य दलों के 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे। आरोप था कि धनखड़ ने सदन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। हालांकि, यह प्रस्ताव 19 दिसंबर को तकनीकी कारणों से खारिज कर दिया गया क्योंकि नोटिस की निर्धारित अवधि पूरी नहीं हुई थी।
अब कांग्रेस कर रही प्रशंसा, सवाल भी उठा रही
अब वही कांग्रेस पार्टी जो अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, धनखड़ की प्रशंसा कर रही है और सरकार पर हमला बोल रही है. कांग्रेस ने कहा कि इस्तीफे के पीछे केवल स्वास्थ्य कारण नहीं, बल्कि इससे जुड़े गहरे राज भी हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि सोमवार को हुई राज्यसभा की बैठक के बाद क्या ऐसा हुआ, जिसने धनखड़ को पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया? उन्होंने कहा कि जेपी नड्डा और किरेन रीजीजू बैठक में क्यों नहीं पहुंचे – ये भी जांच का विषय है.
धनखड़ के विचारों पर कांग्रेस ने जताया सम्मान
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि धनखड़ नियमों और मर्यादाओं के प्रति बेहद सजग थे. उन्होंने 2014 के बाद के भारत की तारीफ की, पर साथ ही किसानों के हितों की पैरवी की और सार्वजनिक जीवन में बढ़ते अहंकार की आलोचना भी की. न्यायपालिका की जवाबदेही और संतुलन पर भी उन्होंने खुलकर बोला था.
राजनीति का दोहरा चेहरा उजागर
अब सवाल उठता है कि अगर धनखड़ इतने सिद्धांतवादी और निष्पक्ष थे, तो कांग्रेस ने पहले उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया? क्या वे पहले गलत थे और अब सही हो गए हैं? विपक्ष के रवैये से राजनीतिक दोहरापन सामने आ रहा है, जो अब इस्तीफे पर सियासी विलाप के रूप में सामने आ रहा है. कांग्रेस इस मुद्दे पर भी राजनीति करती नजर आ रही है.
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