Jagdip Dhankhar : पूर्व उपराष्ट्रपति और वरिष्ठ राजनेता जगदीप धनखड़ एक बार फिर चर्चा का विषय बने हुए हैं। हाल ही में उन्होंने राजस्थान विधानसभा सचिवालय में पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन के लिए आवेदन दिया है। उनका यह कदम खास इसलिए है क्योंकि वे पहले ही सांसद और उपराष्ट्रपति रह चुके हैं और इन तीनों पदों के लिए उन्हें पेंशन प्राप्त होगी। अनुमान है कि तीनों स्रोतों से उनकी कुल मासिक पेंशन ₹2.87 लाख तक पहुंचेगी।
पूर्व विधायक के तौर पर मिलेगी पेंशन
धनखड़ ने 1993 से 1998 तक राजस्थान के किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक के रूप में कार्य किया था। राज्य सरकार पूर्व विधायकों को ₹35,000 प्रति माह पेंशन देती है। 70 वर्ष से अधिक आयु के पूर्व विधायकों को इस राशि में 20% अतिरिक्त राशि मिलती है। चूंकि जगदीप धनखड़ की उम्र 74 वर्ष है, उन्हें ₹42,000 प्रतिमाह पेंशन मिलने की पात्रता है।
सांसद के रूप में अतिरिक्त पेंशन
धनखड़ 1989 से 1991 के बीच झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे थे। यह कार्यकाल उन्होंने जनता दल के उम्मीदवार के रूप में पूरा किया था। भारत सरकार द्वारा पूर्व सांसदों को ₹45,000 मासिक पेंशन प्रदान की जाती है, जो अब धनखड़ को भी मिलेगी। यह राशि बिना किसी विशेष भत्ते के नियमित रूप से दी जाती है।
पूर्व उपराष्ट्रपति के रूप में सबसे बड़ी पेंशन
जगदीप धनखड़ ने 2022 में भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था। इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं। 21 जुलाई 2025 को उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उपराष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें ₹2 लाख मासिक पेंशन मिलने का प्रावधान है। तीनों पदों से प्राप्त होने वाली पेंशन को मिलाकर धनखड़ को हर महीने ₹2,87,000 की पेंशन प्राप्त होगी। राजस्थान विधानसभा सचिवालय ने उनके विधायक पेंशन आवेदन को मंजूरी दे दी है और जल्द ही उन्हें यह राशि मिलनी शुरू हो जाएगी। पेंशन की यह व्यवस्था पूरी तरह से नियमों के अनुरूप है।
पेंशन को लेकर उठे सवाल
धनखड़ के पेंशन आवेदन और स्वीकृति ने एक बार फिर राजनीति में पेंशन व्यवस्था को बहस का मुद्दा बना दिया है। खासकर आम नागरिकों और कर्मचारियों को मिलने वाली सीमित पेंशन की तुलना में जनप्रतिनिधियों को मिलने वाली यह बहुस्तरीय सुविधा सवालों के घेरे में है। जहां एक ओर धनखड़ ने कई उच्च पदों पर सेवा दी है, वहीं तीन स्रोतों से पेंशन मिलना जनता में असमानता और सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाने का कारण बन सकता है।
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