Jai Anmol Ambani: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अनिल अंबानी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। यह मामला यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया को 228.06 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान से संबंधित है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि जय अनमोल ने अपनी एक कंपनी के माध्यम से बैंक से ऋण लिया और उसे समय पर चुकाने में विफल रहे। बैंक का कहना है कि इस वजह से उसे बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ।
Jai Anmol Ambani: CBI जांच शुरू
सीबीआई ने इस मामले में अब विस्तृत जांच शुरू कर दी है। जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि उधार ली गई राशि का उपयोग सही तरीके से हुआ या नहीं। इसके अलावा बैंक द्वारा ऋण देने की शर्तों का उल्लंघन हुआ या नहीं, और किसी भी वित्तीय अनियमितता की पहचान करना जांच का मुख्य फोकस होगा।बैंक की शिकायत में कहा गया है कि RHFL ने मुंबई स्थित बैंक की SCF शाखा से व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिए ₹450 करोड़ की क्रेडिट लिमिट ली थी। बैंक ने यह क्रेडिट देते समय कई शर्तें तय की थीं। इनमें वित्तीय अनुशासन बनाए रखना, समय पर किस्तों का भुगतान, ब्याज और अन्य शुल्कों का भुगतान, और सभी बिक्री आय को बैंक खाते के माध्यम से रूट करना शामिल था।
Jai Anmol Ambani: ऋण चूक और एनपीए घोषित
समय पर किस्तों का भुगतान न होने के कारण बैंक ने 30 सितंबर 2019 को RHFL का खाता एनपीए (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया। बैंक की शिकायत के अनुसार, यह चूक वित्तीय अनुशासन की उल्लंघन का सीधा परिणाम है।बैंक ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि ग्रांट थॉर्नटन द्वारा 1 अप्रैल 2016 से 30 जून 2019 की अवधि के लिए फोरेंसिक ऑडिट कराया गया। ऑडिट में यह निष्कर्ष निकला कि उधार लिए गए फंड का गलत तरीके से उपयोग किया गया और इसे मूल व्यावसायिक उद्देश्य के बजाय अन्य कार्यों में डायवर्ज किया गया।
फंड का डायवर्जन और गलत इस्तेमाल
ऑडिट के मुताबिक, कंपनी ने बैंक से लिए गए पैसों को अपने व्यवसाय के मूल कार्यों के लिए नहीं लगाया। फंड का डायवर्जन कर उसे अन्य कामों में लगाया गया, जिससे बैंक को ₹228 करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ। यह गलत अप्रोप्रिएशन और फंड का दुरुपयोग बैंक द्वारा ऋण देने की शर्तों का उल्लंघन माना गया।बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी के पूर्व प्रमोटर और निदेशकों ने खातों में हेरफेर कर फंड का धोखाधड़ीपूर्ण अप्रोप्रिएशन किया। उन्होंने बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए वित्त का दुरुपयोग किया और धनराशि को अपने व्यक्तिगत या अन्य उद्देश्यों के लिए खर्च किया। इस कारण बैंक को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
CBI जांच की दिशा
सीबीआई अब इस मामले में गहन जांच कर रही है। जांच में यह देखा जाएगा कि ऋण की रकम का असली उपयोग क्या था, फंड डायवर्जन किस हद तक हुआ और कंपनी के प्रमोटर/निदेशकों की भूमिका कितनी जिम्मेदार रही। बैंक और अन्य वित्तीय दस्तावेजों की समीक्षा के बाद ही जांच आगे बढ़ेगी।CBI के जांच शुरू होने के बाद अब कानूनी प्रक्रिया के तहत मामले में शामिल सभी पक्षों से पूछताछ की जाएगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि धोखाधड़ी के आरोप कितने गंभीर हैं और संबंधित अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस जांच से वित्तीय संस्थानों में फंड की सुरक्षा और ऋण वितरण में पारदर्शिता को लेकर नए नियमों पर भी ध्यान जाएगा।
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