Jairam Ramesh Russia Oil: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मंगलवार (21 अक्टूबर) को केंद्र सरकार से सवाल किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह क्यों कह रहे हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर बातचीत की है। रमेश ने यह भी सवाल उठाया कि जब विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस दावे को खारिज किया है, तो केंद्र सरकार अब तक इस मुद्दे पर चुप क्यों है।
ट्रंप का बार-बार बयान
जयराम रमेश ने कहा कि पिछले पांच दिनों में ट्रंप ने तीन बार यह दावा किया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से रूस से तेल खरीदने के विषय पर बात की है। उनका यह बयान तब आया जब ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बुडापेस्ट में मुलाकात होने वाली है। रमेश ने आशंका जताई कि जैसे-जैसे ट्रंप की पुतिन से मुलाकात नजदीक आएगी, यह संख्या और बढ़ सकती है।
ट्रंप का भारत पर दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा था कि अगर भारत रूस से तेल खरीदने की अपनी योजना जारी रखता है, तो उस पर भारी टैरिफ लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और उन्होंने कहा कि वे रूस का तेल नहीं खरीदेंगे। लेकिन यदि वे ऐसा कहते हैं कि खरीदना जारी रखेंगे, तो भारी टैरिफ चुकाते रहेंगे।” ट्रंप का यह बयान अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों के संदर्भ में देखा जा रहा है।
विदेश मंत्रालय का खंडन
विदेश मंत्रालय (MEA) ने ट्रंप के इस दावे को पहले ही खारिज कर दिया है। 15 अक्टूबर को दोनों नेताओं के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुई थी, जैसा कि ट्रंप ने दावा किया। MEA के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच 9 अक्टूबर को एक फोन कॉल हुआ था, जिसमें मोदी ने ट्रंप को गाजा शांति योजना की सफलता पर बधाई दी थी और व्यापार वार्ता पर चर्चा की थी। जैसवाल ने यह भी कहा कि भारत का ऊर्जा नीति पर रुख राष्ट्रीय हितों और नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
भारत का रुख: ऊर्जा नीति पर स्पष्ट स्थिति
भारत ने अपनी ऊर्जा नीति को लेकर हमेशा स्पष्ट रुख अपनाया है। सरकार का कहना है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हितों और भारतीय उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए होती है। भारत ने रूस से तेल खरीदने को लेकर पश्चिमी देशों के दबाव को नजरअंदाज करते हुए अपनी स्थिति को मजबूती से रखा है। भारत ने यह स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा खरीद की नीति वैश्विक दबावों से प्रभावित नहीं होगी और यह देश के आर्थिक हितों को सर्वोपरि रखेगी।
रूस से तेल खरीद का महत्व
यूक्रेन संकट के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस से ऊर्जा संबंधों को कम करने का दबाव बनाया है। लेकिन भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, ने रूस से तेल खरीदने को अपनी ऊर्जा सुरक्षा का एक अहम हिस्सा माना है। रूस से सस्ता तेल भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हुआ है, खासकर बढ़ती तेल की कीमतों के बीच।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए सवाल उठाया कि जब विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के दावे को खारिज किया है, तो सरकार इस पर चुप क्यों है। वहीं, ट्रंप के बयान और भारत के ऊर्जा रुख को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव का मसला अब और भी जटिल हो गया है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में इस मुद्दे का क्या प्रभाव पड़ता है और भारत अपनी ऊर्जा नीति में क्या कदम उठाता है।
Read More : Diwali 2025: दिवाली पर देवगन फैमिली का शानदार लुक, अजय और काजोल ने बेटे संग की ट्विनिंग…
