Jhansi Medical College: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज (Maharani Laxmibai Medical College) के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (NICU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई. वार्ड में भर्ती 10 नवजात शिशुओं की आग में झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई. वहीं, 16 नवजात गंभीर हालत में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. हादसे के बाद अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई. परिजन अपने नवजात बच्चों की तलाश में इधर-उधर भागते रहे, रोते-बिलखते रहे.
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आग लगने से मची तबाही

एक पिता चीखते हुए अस्पताल परिसर में दौड़ रहा था, “मेरा बच्चा कहां है? कोई तो बता दो…” वहीं, एक मां जो हाल ही में अपने बच्चे को जन्म देकर कमजोर हालत में थी, वह कराहते हुए बार-बार कह रही थी, “मुझे मेरा बच्चा दिखा दो.” परिजनों की यह पीड़ा और लाचारी देखकर अस्पताल में मौजूद हर व्यक्ति का दिल दहल गया. मंडलायुक्त विमल कुमार दुबे ने जानकारी दी कि NICU वार्ड में कुल 55 नवजात भर्ती थे. इनमें से 45 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि 10 बच्चों की मौत हो गई. मृत बच्चों में कई ऐसे थे, जिन्होंने कुछ ही घंटे या दिन पहले जन्म लिया था। पहचान के लिए कोई स्पष्ट संकेत न होने के कारण परिजनों को यह भी नहीं पता चल रहा कि मृतकों में उनका बच्चा शामिल है या नहीं.
पीएम और सीएम ने जताया दुख

बताते चले कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर गहरा शोक जताते हुए कहा, “यह हादसा हृदयविदारक है. जिन परिजनों ने अपने मासूम बच्चों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं.” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस घटना को बेहद दुखद बताते हुए जांच के आदेश दिए और परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की. उन्होंने निर्देश दिया कि घटना की जांच कर 12 घंटे में रिपोर्ट पेश की जाए.
जांच के आदेश और राहत कार्य

उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री बृजेश पाठक हालात का जायजा लेने के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचे. उन्होंने कहा, “यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. पहली जांच स्वास्थ्य विभाग करेगा, दूसरी पुलिस प्रशासन और तीसरी मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.” फरवरी में फायर सेफ्टी ऑडिट और जून में मॉक ड्रिल होने के बावजूद यह हादसा कैसे हुआ, इसका पता जांच रिपोर्ट के बाद चलेगा.
हादसे ने खड़े किए कई सवाल

सरकार ने परिजनों को हरसंभव सहायता का भरोसा दिया है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नवजात शिशुओं के शवों की पहचान में परिजनों को सहयोग दिया जा रहा है. गंभीर हालत में भर्ती बच्चों का बेहतर इलाज सुनिश्चित किया जा रहा है. यह घटना अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करती है. फायर सेफ्टी ऑडिट और मॉक ड्रिल के बावजूद ऐसी त्रासदी होना लापरवाही का संकेत देता है. अब जांच के बाद ही यह साफ हो सकेगा कि इस घटना के लिए जिम्मेदार कौन है और ऐसी त्रासदी भविष्य में न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जाएंगे.