Jharkhand NEET students: अभी बीते कुछ दिन पहले ही नीट का रिजल्ट सामने आया है ऐसे में कोटा और दिल्ली के बड़े बड़े कोचिंग संस्थानों से ही ज्यादातर बच्चों को नीट और जेईई एडवांस के लिए सलेक्ट होता हुआ देखा गया है, बता दें कि कुछ ऐसे पिछड़े और गरीब क्षेत्र के बच्चे भी हैं, जिन्होने सफसता हासिल की है, लेकिन हमारे समाज में आज भी गरीब क्षेत्र के बच्चों की लिखी सफलता की कहानी को पढ़ना नही चाहता है. ऐसी ही एक कहानी है झारखंड के खूंटी जिले का एक सरकारी स्कूल की जहां की 11 छात्राओं ने अपनी मेहनत से नीट जैसी मुश्किल परीक्षा में सफलता की कहानी लिख दी है।
11 छात्रों ने लिया हिस्सा…
आपको बता दें कि, झारखंड के खूंटी जिले से कुल 28 छात्राओं ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में हिस्सा लिया था, जिनमें से 11 ने परीक्षा उत्तीर्ण की है। ये सभी छात्राएं दलित, आदिवासी और पिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। जैसे ही राज्य के दूर-दराज़ इलाकों की इन छात्राओं ने NEET जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा पास की, पूरे देशभर में इनकी सफलता की चर्चा शुरू हो गई। यह परीक्षा मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिले के लिए अनिवार्य होती है। हालांकि, अब इन छात्राओं के सामने कॉलेज की फीस को लेकर गंभीर आर्थिक चुनौती खड़ी हो गई है। उनका कहना है कि परीक्षा पास करने की खुशी जरूर है, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए हमारे पास फीस चुकाने के संसाधन नहीं हैं। इसलिए वे सरकार से आर्थिक मदद की उम्मीद कर रही हैं।
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जानें पूरी कहानी?
झारखंड की राजधानी रांची से तकरीबन 40 किमी से दूर खू्ंटी जिले के कर्रा प्रखंड में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की बात है. बता दें कि यहां पर अधिक से अधिक नागपुरी और मुंडारी भाषा चलती है. इस स्कूल की शुरुआत 2007 में हुई थी, और 2023 से यहां विज्ञान विषय की पढ़ाई शुरू की गई। इससे पहले यह स्कूल केवल आर्ट्स स्ट्रीम तक ही सीमित था। छात्राओं को ‘सपनों की उड़ान’ योजना, जिसे बाद में ‘संपूर्ण शिक्षा कवच’ नाम दिया गया, के तहत पीसीबी (Physics, Chemistry, Biology) के शिक्षक उपलब्ध कराए गए। इसके साथ ही मुफ्त वाई-फाई की सुविधा दी गई, जिससे छात्राओं को ऑनलाइन मार्गदर्शन भी मिला। इन प्रयासों का असर यह हुआ कि इस कठिन परीक्षा में 11 छात्राओं ने सफलता प्राप्त की।