Jitiya Vrat 2025: कब रखा जाएगा जितिया व्रत? जानें तारीख से लेकर मुहूर्त तक

इन्हीं में से एक जितिया व्रत भी है, जो कि माताओं के लिए बेहद ही खास होता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना हेतु दिनभर उपवास रखती है और पूजा पाठ करती है।

Nivedita Kasaudhan
Jitiya Vrat 2025
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Jitiya Vrat 2025: हिंदू धर्म में ऐसे कई सारे व्रत है जो महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाली के लिए करती हैं। इन्हीं में से एक जितिया व्रत भी है, जो कि माताओं के लिए बेहद ही खास होता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना हेतु दिनभर उपवास रखती है और पूजा पाठ करती है।

छठ के बाद जितिया व्रत ही सबसे कठिन व्रत माना जाता है। जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है, यह व्रत भगवान कृष्ण के काल से ही किया जा रहा है। छठ की तरह ही जितिया व्रत भी तीन दिनों तक चलता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजा करने से माताओं को अपनी संतान के वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे में हम आपको जितिया व्रत की तारीख व अन्य जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

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जितिया व्रत की तारीख

Jitiya Vrat 2025
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आपको बता दें कि जितिया व्रत 14 सितंबर को पड़ रहा है। पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है। यह व्रत विशेष तौर पर भारत के बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है, अगले दिन निर्जला व्रत और फिर तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

जीवित्पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 14 सितंबर को सुबह 5 बजकर 4 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन 15 सितंबर को सुबह 3 बजकर 6 मिनट पर हो जाएगा। वहीं नहाय खाय 13 सितंबर को पड़ेगा, जीवित्पुत्रिका व्रत 14 सितंबर को हो जाएगा। पारण का समय 15 सितंबर को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट पर हो जाएगा।

जितिया व्रत की सरल विधि

आपको बता दें कि ​जीवित्पुत्रिका व्रत में जीमूतवाहन, चील सियारिन की पूजा और व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए। इसके बिना व्रत पूरा नहीं होता है। इस व्रत में सतपुतिया की सब्जी का विशेष महत्व होता है साथ ही व्रती एक दिन पहले मरुआ की रोटी व नोनी की साग खाते हैं। इस पूजा में सरसों तेल और खल चढ़ाने की विशेष परंपरा होती है, व्रत पारण के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के रूप में लगाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

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