JNU PhD Admission 2025: जेएनयू प्रशासन ने मानी छात्रों की कुछ मांगें.. भूख हड़ताल के दबाव में लिया बड़ा फैसला

Mona Jha
JNU PhD Admission 2025
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JNU PhD Admission 2025: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पिछले कई दिनों से छात्र संघ के नेतृत्व में चल रही अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के बीच प्रशासन ने कुछ अहम मांगों को मानते हुए बड़ा निर्णय लिया है। जेएनयू प्रशासन ने पीएचडी छात्रों के लिए छात्रावास सुविधाओं के विस्तार के साथ-साथ दिसंबर 2025 से पीएचडी प्रवेश कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। यह निर्णय छात्रों के साथ गतिरोध को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है।

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छात्रों की मुख्य मांगों में शामिल थे पीएचडी प्रवेश और छात्रावास सुविधा

छात्र संघ द्वारा रखी गई मांगों में सबसे प्रमुख मांग थी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को पुनः आरंभ करना और साल में दो बार दाखिले की व्यवस्था लागू करना। इसके साथ ही छात्रों ने मांग की थी कि जब तक थीसिस जमा न हो, तब तक छात्रावास सुविधा जारी रखी जाए। इन दोनों मांगों को प्रशासन ने स्वीकार कर लिया है।

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26 जून से जारी है अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

छात्र संघ अध्यक्ष नीतीश कुमार और अन्य कई छात्र 26 जून से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और छात्रहितों की अनदेखी की जा रही है। भूख हड़ताल के चलते विश्वविद्यालय परिसर में तनाव का माहौल बना हुआ है।

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अब भी लंबित हैं कई अहम मांगें

  • हालांकि जेएनयू प्रशासन ने कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन छात्र संघ ने आंदोलन वापस लेने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। बाकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
  • पीएचडी प्रवेश परीक्षा की अनिवार्यता की बहाली
  • वाइवा (साक्षात्कार) में अंक की अधिकता को कम करना
  • छात्रावास खाली करने के नोटिस को वापस लेना
  • प्राक्टोरियल जांच प्रक्रिया को रोकना
  • जून 2025 के नेट (NET) उम्मीदवारों के साथ भेदभाव न करना
  • मासिक छात्रवृत्ति (MCM) को बढ़ाकर ₹5000 करना

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आंदोलन पर क्या बोले छात्र नेता?

छात्र संघ का कहना है कि यह केवल एक शुरुआत है और वे सभी मांगों को पूरा करवाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने छात्रों की आवाज को लंबे समय तक नजरअंदाज किया, जिससे यह आंदोलन शुरू हुआ। छात्रों का कहना है कि यदि जल्द ही सभी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

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समाधान की ओर एक कदम, मगर संघर्ष अभी बाकी

जेएनयू प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम छात्र हितों की दिशा में एक अहम प्रयास है, लेकिन छात्र संघ की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि उनकी बाकी मांगें भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि प्रशासन और छात्र संघ के बीच और किस तरह की बातचीत होती है और क्या आंदोलन का कोई स्थायी समाधान निकलता है या नहीं।

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