Justice Yashwant Verma : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग का खतरा मंडारा रहा है । खुद को निर्दोष साबित करने के लिए नकदी मामले में आरोपी जस्टिस वर्मा अब सुप्रिम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। उनका दावा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन जजों की जांच समिति की रिपोर्ट अधूरी है। कई मामलों में समिति की रिपोर्ट में अटकलों को ही सच मान लिया गया है।
जस्टिस वर्मा के घर से बड़ी संख्या में नोट बरामद होने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है। छुट्टियों के दौरान जस्टिस वर्मा के घर में आग लगी । आग लगने की सुचना मिलने पर दमकलकर्मी पहुंचे। जहां जस्टिस वर्मा के घर से नकदी मिली। इसके बाद जज के घर के पास सड़क से पांच सौ रुपये के जले हुए नोट भी बरामद हुए। पैसे का स्रोत अभी तक पता नहीं चल पाया है। नियमों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने पूरे मामले की जांच की है।
55 गवाहों के बयान दर्ज
जांच समिति जास्टिस वर्मा के खिलाफ चार पन्नों की रिपोर्ट पहले ही सौंप चुकी है। कुल 55 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। जांच समिति के सदस्यों ने न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास पर जाकर जांच की । जांच के आधार पर उनके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायमुर्ति के घर स्टोररूम में पैसा बरामद होने के सबूत मिले हैं। उस स्टोररूम का उपयोग न्यायमूर्ति वर्मा के परिवार के सदस्य ही करते थे। बिना अनुमति के कोई भी बाहरी व्यक्ति वहां प्रवेश नहीं कर सकता था । सर्वोच्च न्यायालय समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट रुप से कहा गया है कि न्यायमुर्ति वर्मा पर महाभियोग चलाने के निर्णय पर पहुंचने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं । रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्र ने महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
न्यायमुर्ति वर्मा का दावा
न्यायमुर्ति वर्मा ने उस प्रक्रिया को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उनका दावा है कि तीनों न्यायाधीशों की सिफारिश को पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए। रिपोर्ट ने संवैधानिक पद और व्यक्तिगत स्वतंतत्रा का हनन किया गया है। समिति ने मनगढ़ंत धाराणाओं को सच मानकर उन्हें दोषी पाया है। अब उन्हें उस मनगढ़ंत सिद्धांत को झूठा साबित करना है। न्यायमूर्ति वर्मा ने मांग की है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा की गई महाभियोग की सिफ़ारिश को भी खारिज किया जाना चाहिए।
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